सोमवार, 16 मई 2016

तुझ जैसे लाडले हैं .......



तुझ जैसे  लाडले ,हैं  लाखों में एक 
मिलते  है जिसकी , नीयत हो नेक 

लड़खड़ाते डगमगाते चलना सिखाया 
थाम मेरी बाँहे  आगे बढ़ना सिखाया 

अंधियारे मेरे मन के झरोखे  सँवारे 
दिल में मेरे रौशन उम्मीदें जगायी 

पढ़ना सिखाया लिखना सिखाया 
पढ़ मेरे मन तुमने जीना सिखाया  ...... निवेदिता 


6 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है...बहुत सुंदर...सबका ऐसा ही नेकनसीब हो .

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  2. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ... बच्चे इंसान के जीवन की शक्ति होते हैं ....

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  3. मन को छूने वाली स्नेहमयी पंक्तियाँ ....

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  4. कितना तोष मिलता है- माँ का मन ही अनुभव कर सकता है!

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  5. बच्‍चों पर नाज तो होता ही है मां-बाप को। सुंदर पंक्‍ति‍यां

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