रविवार, 10 अप्रैल 2016

ये हँसी .......



कभी कभी 
ये हँसी 
उमगती है 
किलकती है 
बस एक 
झीनी सी
ओट दे जाने को
और आँसुओं को
ख़ुशी के जतलाने को
और हाँ
ये आँसू भी तो
बेसबब नही
इनसे ही तो
बढ़ जाता
नमक जिंदगी में ...... निवेदिता

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपने लिखा...
    कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
    हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 12/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
    अंक 270 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।

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  2. अच्छी कविता , सच है आशुओं से नमक बढ़ता है ज़िंदगी मे

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