कभी मना कर रूठ जाते है वो
कभी यूँ भी रुठ कर मनाते है
जो हार जाये वो प्यार क्या
तकरार न हो इजहार क्या
नजरों से नजरें चुराते है वो
यूँ ही दिल में बस जाते है वो
न कुछ हारते हैं ,न जीतते है
प्यार ही प्यार में जिये जाते हैं ..... निवेदिता
कभी यूँ भी रुठ कर मनाते है
जो हार जाये वो प्यार क्या
तकरार न हो इजहार क्या
नजरों से नजरें चुराते है वो
यूँ ही दिल में बस जाते है वो
न कुछ हारते हैं ,न जीतते है
प्यार ही प्यार में जिये जाते हैं ..... निवेदिता
21 मार्च,रूठने मनाने का दिन 😊
जवाब देंहटाएं21 मार्च,रूठने मनाने का दिन 😊
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " बंजारा " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिये आभार !!!
हटाएंचर्चा मंच में सम्मिलित करने के लिये आभार !!!
जवाब देंहटाएंपांच लिंको का आनन्द में सम्मिलित करने के लिये आभार !!!
जवाब देंहटाएंBadhiya
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
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