कभी मना कर रूठ जाते है वो
कभी यूँ भी रुठ कर मनाते है
जो हार जाये वो प्यार क्या
तकरार न हो इजहार क्या
नजरों से नजरें चुराते है वो
यूँ ही दिल में बस जाते है वो
न कुछ हारते हैं ,न जीतते है
प्यार ही प्यार में जिये जाते हैं ..... निवेदिता
कभी यूँ भी रुठ कर मनाते है
जो हार जाये वो प्यार क्या
तकरार न हो इजहार क्या
नजरों से नजरें चुराते है वो
यूँ ही दिल में बस जाते है वो
न कुछ हारते हैं ,न जीतते है
प्यार ही प्यार में जिये जाते हैं ..... निवेदिता
21 मार्च,रूठने मनाने का दिन 😊
जवाब देंहटाएं21 मार्च,रूठने मनाने का दिन 😊
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-03-2016) को "शिकवे-गिले मिटायें होली में" (चर्चा अंक - 2289) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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रंगों के महापर्व होली की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच में सम्मिलित करने के लिये आभार !!!
हटाएंआपने लिखा...
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 22/03/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 249 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
पांच लिंको का आनन्द में सम्मिलित करने के लिये आभार !!!
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " बंजारा " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिये आभार !!!
हटाएंBadhiya
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएं