का ," सुनो तुम कुछ दिनों से स्ट्रेस्ड दिख रही हो .... क्या हुआ .... "
की ,"हम्म्म ..... नहीं तो .... "
कुछ दिनों बाद फिर से यही बातें .....
का ," सुनो तुम अभी भी स्ट्रेस्ड दिख रही हो .... क्या हुआ .... "
की ,"हम्म्म ..... नहीं तो .... "
शाम को ऑफिस से लौट कर चाय पीते हुए .....
का ,"सुनो .... एक बात बोलूँ ... "
चाय के कप में बेमतलब सी चम्मच हिलाते हुए की ने का को देखा ,"अब क्या हुआ .... "
का ,"मैं आज ऑफिस से लौटते हुए बाजार चला गया था .... "
की आखों में बिना किसी प्रतिक्रिया लिये निरपेक्ष सी ,बस का को देखती है ...
का ,"मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ ,देखोगी .... "
की निर्विकार सी ,"ह्म्म्म्म ..... "
का हड़बड़ाया सा एक गेंद सी की की तरफ बढ़ाते हुए ,"ये लो .... "
की ,"अब मैं इसका क्या करूंगी .... मैं तो अब खेलती नही और बच्चे ,वो तो ...... "
की का वाक्य अधूरा सा रह गया ......
का ,थोड़ी सी उलझन में ," सुनो न ये स्ट्रेस बस्टर है .... इसको तुम यूज़ करोगी तो तुमको बेहतर लगेगा .... "
की शांत थी ," नहीं मुझे कोई स्ट्रेस नही है .... "
का ," फिर तुम इतनी उदास सी ..... "
की ,"नहीं मुझे कोई स्ट्रेस नही है ,बस वैक्यूम .... "
की चाय के कप किचेन में रख कर बालकनी में पक्षियों को तलाश रही है ....
और .....
वो स्ट्रेस बस्टर का के हाथों में है ..... निवेदिता
की ,"हम्म्म ..... नहीं तो .... "
कुछ दिनों बाद फिर से यही बातें .....
का ," सुनो तुम अभी भी स्ट्रेस्ड दिख रही हो .... क्या हुआ .... "
की ,"हम्म्म ..... नहीं तो .... "
शाम को ऑफिस से लौट कर चाय पीते हुए .....
का ,"सुनो .... एक बात बोलूँ ... "
चाय के कप में बेमतलब सी चम्मच हिलाते हुए की ने का को देखा ,"अब क्या हुआ .... "
का ,"मैं आज ऑफिस से लौटते हुए बाजार चला गया था .... "
की आखों में बिना किसी प्रतिक्रिया लिये निरपेक्ष सी ,बस का को देखती है ...
का ,"मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ ,देखोगी .... "
की निर्विकार सी ,"ह्म्म्म्म ..... "
का हड़बड़ाया सा एक गेंद सी की की तरफ बढ़ाते हुए ,"ये लो .... "
की ,"अब मैं इसका क्या करूंगी .... मैं तो अब खेलती नही और बच्चे ,वो तो ...... "
की का वाक्य अधूरा सा रह गया ......
का ,थोड़ी सी उलझन में ," सुनो न ये स्ट्रेस बस्टर है .... इसको तुम यूज़ करोगी तो तुमको बेहतर लगेगा .... "
की शांत थी ," नहीं मुझे कोई स्ट्रेस नही है .... "
का ," फिर तुम इतनी उदास सी ..... "
की ,"नहीं मुझे कोई स्ट्रेस नही है ,बस वैक्यूम .... "
की चाय के कप किचेन में रख कर बालकनी में पक्षियों को तलाश रही है ....
और .....
वो स्ट्रेस बस्टर का के हाथों में है ..... निवेदिता
कमाल का स्ट्रेस, गज़ब का वैक्यूम.... और का है कि स्ट्रेस समझ रहा है, वैक्युम की ओर उसका ध्यान ही नहीं....
जवाब देंहटाएंक्या बोलें हम...कभी कभी कुछ शब्द कम पड़ जाते हैं न...।
जवाब देंहटाएंपता नहीं क्यों, पर इस वैक्यूम ने मेरा मन भारी कर दिया...।