न बह जाएँ ……
ये आँसू
बड़े ही
धोखेबाज़ हैं
जब जी चाहे
अपनी सी
कर ही जाते हैं
थामना चाहूँ
तब भी
थिरक कर
बिखर जाते हैं
पर आज
सोचती हूँ
इन आँसुओं को
पलकों की ही
कैद में रख लूँ
कहीं बहते हुए
आंसुओं संग
तुम्हारी झलक
या कह दूं
कसकती
खिलखिलाती
तुम्हारी यादें
तुम्हारी बातें
भी न बह जाएँ …
- निवेदिता
बहुत अच्छा लगा आंसुओं में समायी अनमोल चीजों को सहेजने की कोशिश को रचना का ये रूप देना.सुन्दर कृति.
जवाब देंहटाएंबस ! आंसू निकल आए ...
जवाब देंहटाएंजब निकलें, एकान्त रहे मन।
जवाब देंहटाएंनमस्कार आपकी यह रचना आज सोमवार (16-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंबह ना जाएँ आंसू के संग यादें !
जवाब देंहटाएंबढ़िया है !
जवाब देंहटाएंआंसू दिल की सच्ची कहानी कहती है !
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किसी के याद आँसू आना स्वाभाविक है !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बिखरे स्वर.
यादें तो ओर बढ़ जाती हैं इन आंसुओं के साथ ... निकल के चिपक जाती हैं पूरे जिस्म से ... भाव मय ...
जवाब देंहटाएंsundar rachna ...........sundar bhav...
जवाब देंहटाएंआंसुओं में समायी अनमोल चीजों को सहेजने की बेहतरीन कोशिश आपने दिखाया है इन अनमोल पंक्तियों में आपका धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंआंसू तो आंसू हैं उनपर अधिकार नहीं होता
जवाब देंहटाएंजब चाहें आते है अपने आप चले जाते हैं
आशा