नज़रों के सामने है अथाह जल राशि ,अपनी सम्पूर्ण भयावहता से असीमित विस्तार को भी सीमित करती … मन बावरा भटका सा अटका सा ,जैसे विराम का कोई नन्हा सा लम्हा तलाशता ऊपर जैसे ईश्वर की आस लिए निगाहें फेरता है ,पर वहाँ भी आकाश अपनी ओर - छोर हीन विपुलता लिए सूर्य - चाँद - सितारों की सज्जा की चमक लुटाता , निगाहों को ठगे जाने की शिकस्त का बोध करा रहा है …
निगाहें फिर से व्याकुल सी जल को देखतीं हैं ,पर उसकी गहराई भी नहीं थाह पा रहीं हैं … मन - प्राण एक तिनके सा हवा के झोंकों के वशीभूत ,अजनबी सी यात्रा पर निकल पड़ा है … लगता है आज पंच तत्वों ने अजीब सी साज़िश रच ली है ,अपनी सम्मिलित शक्ति के प्रबल आवेग से तिनके का और भी रेशा निकाल उसका अस्तित्व ही समाप्त करना चाहते हैं …
वो रुक्ष सा तिनका तलाश रहा है अपने आत्मिक बल ,उन दो नन्हीं चितवन को ,जो उसके क्षीण से कलेवर के समक्ष दृढ़ स्तम्भ सरीखे कवच सी छा जातीं हैं … हर आता हुआ लम्हा ,कभी तीक्ष्ण सी चुनौती बन तो कभी एक आस के दीप स्तम्भ सा जगमगा जाता है …
आसमान की विशालता जैसे उस तिनके के इरादों की अडिगता को परख रहीं हो ,तो जल की गहराई उसके विश्वास की सीमाओं को समेटने के लिए और भी नीचे उतरती जा रही हो …
तिनके के इस अडिग प्रयास के पीछे का मूल तत्व उसका एकमात्र विश्वास है कि उसकी उपस्थिति के बिना ये सृष्टि अपूर्ण ही रह जायेगी … बेशक एक तिनके भर ही ,पर पूर्ण रूप से सम्पूर्ण हो पाना सम्भव ही नहीं और नि:संदेह यही उस तुच्छ और रुक्ष से तिनके की शक्ति है और उखड़े मन के भटके से ख्याल भी …… - निवेदिता
बहुत सुन्दर...!!!
जवाब देंहटाएंमुझे पता नहीं क्यों मुक्तिबोध की पढ़ी कुछ बातें याद आ रही हैं इसे पढ़कर....बहुत पहले की पढ़ी बातें....एक तो आप यहाँ देख सकती हैं( सतह से उठता आदमी ) ,..
हालांकि इस पोस्ट से इसका सम्बन्ध नहीं है फिर भी --
विश्वास टीमके को अपने पे होता है ओर ये इंसान के विश्वास के साथ जुड़के समुंदर पार करा देता है ...
जवाब देंहटाएंये बिखरे बिखरे आखर गहन भाव समेटे हुये हैं ।
जवाब देंहटाएंati sunder............................plz ....visit here also
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क्या बात वाह!
जवाब देंहटाएंप्राकृतिक अस्तित्व की गहराई में हम तिनके से ही रह जाते हैं..बहते हैं पर लगता है कि सब बहा जायेंगे।
जवाब देंहटाएंतिनके के इस अडिग प्रयास के पीछे का मूल तत्व उसका एकमात्र विश्वास है कि उसकी उपस्थिति के बिना ये सृष्टि अपूर्ण ही रह जायेगी … लाजवाब।।।
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