एक दिन
दिल ने लचक कर
आँसुओं से कहा
क्यों आते हो ……
आँखें भी
थक गईं हैं
तुम्हे ………
हाँ तुम्हे
स्थान देते - देते
सब तस्वीरें
धुंधला गईं
यादों की टीस
सहते -सहते !
ये शिकवे
सुन - सुन कर
आँसुओं ने भी
थक कर
घर नया
तलाश लिया
आँखों में तो
रेत सी रूखी
खुश्की
आ ही गयी
मगर दिल ……
क्यों इतना
नम औ भारी सा
हो गया ……
-- निवेदिता
साधू साधू
जवाब देंहटाएंएहसासों का शब्दमाला
क्यूंकि उन आंसुओं ने अब दिल में जगह बना ली है.
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण रचना...
कल 02/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत ही कमाल की पंक्तियां निवेदिता जी । बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआने दो जो आना चाहें,
जवाब देंहटाएंअपनी पीर बताना चाहें।
आपकी यह रचना आज रविवार (01-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंhttp://dehatrkj.blogspot.com
बहुत भावपूर्ण रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना ..
जवाब देंहटाएंआँसुओं से निकलने न दी .... दिल में घनीभूत हुई..
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ।
आह...सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अहसासों की अभिव्यक्ति,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : फूल बिछा न सको
आपने एक खूबसूरत पोस्ट लिखी और उसे एक धांसू शीर्षक से पाठकों तक पहुंचाया , हमने उसे सहेज़ लिया अपनी बुलेटिन के उस पन्ने के लिए जो आप तक ही और आप जैसे अन्य मित्र ब्लॉगरों तक पहुंचाने के लिए , बस एक चुटकी भर मुस्कुराहट मिला दी है , देखिए खुद ही ..आप आ रहे हैं न ..आज की बुलेटिन पर
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlatest post नसीहत
ये तो होना ही था!
जवाब देंहटाएंखुबसूरत मोती……… सुन्दर भावपूर्ण………….
जवाब देंहटाएंइन आंसुओं से जीवन में नमी रहती है ... इसके जरिये दर्द बह जाता है ... नहीं तो जम जाता है भारीपन दिल के आसपास ...
जवाब देंहटाएंआँसुओं ने भी थक कर घर नया तलाश लिया आँखों में तो रेत सी रूखी खुश्की आ ही गयी मगर दिल ……क्यों इतना
जवाब देंहटाएंनम औ भारी सा हो गया …बेहद सुंदर एहसास और भावपूर्ण रचना....
सुंदर भावपूर्ण रचना...
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