हिन्दी हिन्दी सब कहें ,सीखे नहीं विधान ।
स्वर व्यंजन भी याद हो ,मात्रा का रख ध्यान ।।
उच्चारण भी शुद्ध करो ,प्रवहमान तब जान ।
तत्सम तद्भव लो समझ ,त्रुटियों का ले ज्ञान ।।
अलग - अलग हर भाव के ,इसमें रखे निशान ।
कण्ठ तालु अरु हलक से ,बोलो समझ विधान ।।
नाम संबंध के अलग, रहती भिन्न पुकार ।
समझो इसकी महत्ता ,भाषा है संस्कार ।।
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
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