"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 28 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
शुक्रिया यशोदा जी !
जरूर पूरे होंगे सपने.....
दी , आमीन !!!
वाह सपनों के पूरा होने की पहली शर्त तो सपने देखना ही है ..बहुत ही सुन्दर सरल और सहज ..आनंदम आनंदम
शुक्रिया अजय जी !
बहुत ख़ूबसूरत अहसास और उनकी सुन्दर अभिव्यक्ति...
पलकों में सपनों का पलना भी एक सच है ।अच्छी पंक्तियां ।
बेहद प्रभावशाली रचना......बहुत बहुत बधाई.....
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 28 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया यशोदा जी !
हटाएंजरूर पूरे होंगे सपने.....
जवाब देंहटाएंदी , आमीन !!!
हटाएंवाह सपनों के पूरा होने की पहली शर्त तो सपने देखना ही है ..बहुत ही सुन्दर सरल और सहज ..आनंदम आनंदम
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अजय जी !
हटाएंबहुत ख़ूबसूरत अहसास और उनकी सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंपलकों में सपनों का पलना भी एक सच है ।
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तियां ।
बेहद प्रभावशाली रचना......बहुत बहुत बधाई.....
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