वो पावन सी समिधा
वो हवन की सुगंध
मंत्रो का सान्निध्य
झिझकते हुए कदम
अजनबी सी निगाहें
एक छोटा सा लम्हा
एक शोख सा रंग
एक बंधी हुई चुटकी
और धूसर सी मांग
पर चमकती लाली
शुक्र तारे को परे हटा
सूर्य किरणों ने ली
सपनीली सी अँगड़ाई …
महावर की ललछौंही चमक
बिछिये की श्वेत शीतलता
चूनर में झिलमिलाते
स्वपनिल सितारे
शुक्र तारे को परे हटा
सूर्य किरणों ने ली
सपनीली सी अँगड़ाई …
महावर की ललछौंही चमक
बिछिये की श्वेत शीतलता
चूनर में झिलमिलाते
स्वपनिल सितारे
दो जुड़े हाथों ने
सहेज ली अरमानों सजी
ईश्वरीय सौगातों से भरी
अपनी अलबेली तिजोरी ... निवेदिता
सहेज ली अरमानों सजी
ईश्वरीय सौगातों से भरी
अपनी अलबेली तिजोरी ... निवेदिता
परिवर्तन ........ शाश्वत :)
जवाब देंहटाएंप्यारी सी रचना...
कितने सुंदर एहसासों की माला पिरोयी है आपने ...!!ईश्वरीय सी ....बहुत सुंदर रचना !!बधाई !!
जवाब देंहटाएंबाप रे!!! ये कविता है या पेंटिंग!! पढ़ते हुए राग भैरवी के सुर बजने लगे कानों में। बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंभैया , :) .....सादर !
हटाएंअहसासो की सुंदर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है
शुक्र तारे को परे हटा
जवाब देंहटाएंसूर्य किरणों ने ली
सपनीली सी अँगड़ाई …
वाह...सुन्दर बिम्ब....
अनु
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन किस रूप मे याद रखा जाएगा जंतर मंतर को मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
वाह ... :)
जवाब देंहटाएंअहसासों का पुष्पवृष्टि ..बहुत सुन्दर l
जवाब देंहटाएंNew post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
सियासत “आप” की !
अहसासों की सुन्दर माला...
जवाब देंहटाएंक्या खूबी सहेजी तिजोरी अरमानों की !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
बड़े ही प्यारे ढंग से सजायी है स्मृतियों की श्रंखला
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता है निवेदिता...
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