ख़्वाब ....
कभी मुंदी
और कभी खुली
पलकों से भी
सांस - सांस जिए जाते हैं
ख़्वाब .....
कभी साँसों में
और कभी
दिलों में भी
सहज ही पलते पनपते हैं
ख़्वाब .....
फ़क़त यूँ ही
देखते ही नहीं
धडकनों में भी
सुने और सहेजे जाते हैं
ख़्वाब .....
हरदम सिर्फ
ख़्वाब ही नहीं होते
ज़िन्दगी की
रेशा - रेशा हक़ीकत भी होते हैं
- निवेदिता
ख़्वाब .....
जवाब देंहटाएंहरदम सिर्फ
ख़्वाब ही नहीं होते
ज़िन्दगी की
रेशा - रेशा हक़ीकत भी होते हैं....niveditaji sunder rachna...........
ख़्वाब .....
जवाब देंहटाएंहरदम सिर्फ
ख़्वाब ही नहीं होते
ज़िन्दगी की
रेशा - रेशा हक़ीकत भी होते हैं....niveditaji sunder rachna...........
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर पंक्तियाँ,,, आभार।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : "प्रोजेक्ट लून" जैसे प्रोजेक्ट शुरू होने चाहिए!!
चित्तौड़ की रानी - महारानी पद्मिनी
ख्वाब कभी हकीकत बन जाते हैं और कभी कोई हकीकत ख़्वाबों में देखते हैं हम....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!
सस्नेह
अनु
मन को मदमाते ख्वाब..
जवाब देंहटाएंख़्वाब .....
जवाब देंहटाएंहरदम सिर्फ
ख़्वाब ही नहीं होते
ज़िन्दगी की
रेशा - रेशा हक़ीकत भी होते हैं.......................सच कहा आपने
आपकी इस उम्दा रचना को http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय अंक १/११/१३ में शामिल किया गया हैं , आपका स्वागत हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे
जवाब देंहटाएंख्वाब क्या क्या नहीं होते .. ये जीवन भी बन जाते हैं .. भावमय ...
जवाब देंहटाएंदीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...