बिखरे पन्नों के हर शब्द में ,
झलक दिखाती संवारती है ज़िन्दगी
हवाओं की सरगोशियों में भी ,
दरस दिखा ज़िंदा रखती है ज़िन्दगी
अतीत भी कहाँ व्यतीत हुआ ,
हर लम्हा है जीती अपनी ज़िन्दगी
आँसुओं की मुक्तामाला बिखेर ,
जीने के अंदाज़ सिखाती है ज़िन्दगी
- निवेदिता
तभी तो प्यार हो जाता है इस ज़िन्दगी से :-)
जवाब देंहटाएंसस्नेह
अनु
सुंदर ...ज़िंदगी तेरे रूप निराले ....
जवाब देंहटाएंहर पल जीना, एक मन्त्र यह।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (11-10-2013) चिट़ठी मेरे नाम की (चर्चा -1395) में "मयंक का कोना" पर भी है!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर अभिव्यक्ति ... नवरात्र की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंहर कदम इम्तिहान लेती ज़िंदगी ...
जवाब देंहटाएंहर लम्हा है जीती अपनी ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति \
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जवाब देंहटाएंभाग्य का टूटा सितारा ,जिन्दगी है i
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सिर्फ यादों का सहारा , जिन्दगी है i
नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
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कभी कभी बहुत खूबसूरत है ये जिंदगी
जवाब देंहटाएंजो है जैसी है ... सुन्दर है जिन्दगी :)
जवाब देंहटाएंसुंदर..
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