रंगों की भाषा भी
बड़ी अजीब होती है
शोख चपल तरल
अनकही कह जाती
भाषा कुछ स्वर भी
सौगात में दे जाती
मन में बसी खुशी
खिलखिलाहट बनती
मन की टूटन
आंसुओं में बात करती
बहुत कचोटता है
रंगों का बेरंग होना
पर्दों की रंगीनियाँ
बदरंग हो बेजान कर
पीड़ा के स्वर कण्ठ में
बेबस दम तोड़ जाते हैं
पहियों की रफ्तार
नि:शब्द कर तिल-तिल
जीतेजी मृत्यु वरने को
आमंत्रित करती जाती ....
-निवेदिता
:-(
जवाब देंहटाएंमहसूस किया इन शब्दों को(और घुटन को भी)....
सस्नेह
अनु
जिसको दर्द होता है असली बात वो ही जानता है।
जवाब देंहटाएंघुटन ....महसूस हो रही है
जवाब देंहटाएंnihshabd karta dard.... :(
जवाब देंहटाएंदर्द की चीख
जवाब देंहटाएंनिकलती है जब
घुटती साँसे
रंगों की भाषा भी
जवाब देंहटाएंबड़ी अजीब होती है
sach kaha...
रंगों की भाषा या मौन का संवाद .. चुपचाप ही बहुत कुछ कह जाता है ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
"बहुत कचोटता है
जवाब देंहटाएंरंगों का बेरंग होना"
सचमुच "बहुत कचोटता है"
पीड़ा के स्वर कण्ठ में
जवाब देंहटाएंबेबस दम तोड़ जाते हैं,,,,बेहतरीन प्रस्तुति,,निवेदिता जी,,,
recent post : समाधान समस्याओं का,
रंग नहीं,
जवाब देंहटाएंकुछ संग नहीं तब,
जीवन की रजधानी सूनी।
मन की टूटन
जवाब देंहटाएंआंसुओं में बात करती
बहुत कचोटता है
रंगों का बेरंग होना,
बखुब!
मन की घुटन का अजीब सा संसार ...जो सोच से शुरू हो कर सोच पर ही खत्म होता है
जवाब देंहटाएंवाह..बहुत खूब बयां हुई है मन की घुटन।।।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।।।