धूमिल होते बिन्दुओं ने
अक्षर का आकार लिया
अक्षर ने अक्षर से
ऐसे हाथ मिलाया
शब्दों का बोलता
इक संसार बनाया
जीवंत जज़्बातों ने
स्वर की झंकार दी
कैसे मौसम बदला
पतझड़ जैसा आया
शब्दों ने स्वर को
बीच मंझदार छोड़ा
कभी बोलते थे शब्द
बातों की ,यादों की
अनवरत लहराती
नदिया बहती रहती
खामोशी की पतवार ने
स्वर - शब्दों की नाव
डगमगा डूब जाने दिया
कैसा मौसम आया ........
-निवेदिता
अलग शैली में लिखी सुन्दर रचना के लिए बधाई..
जवाब देंहटाएंकुछ अलग सा........बढ़िया लगा |
जवाब देंहटाएंअक्षर, शब्द, वाक्य, विचार....चिंतन....मनन....क्षरण...अक्षर...
जवाब देंहटाएंkaun hai jo shabd jaal mein nahee ulajhtaa
जवाब देंहटाएंnice
आपके इस उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंशब्दों ने स्वर को
जवाब देंहटाएंबीच मंझदार छोड़ा
निवेदिता जी इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकारें...
नीरज
bahut hi saghan ehsaas
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंखामोशी की पतवार ने
जवाब देंहटाएंस्वर - शब्दों की नाव
डगमगा डूब जाने दिया
nice poem
बेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंस्वर शब्दों की नाव डुबोईए नहीं .. अनवरत कागज पर तैराइये ..सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुंदर पंक्तियाँ .....
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
जय हिंद...वंदे मातरम्।
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
sunder aaur sarthak prbastuti..aapke blog par pahli baar aana hua..accha laga..sadar badhayee aaur apne blog per amantran ke sath
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, प्रस्तुति अच्छी लगी.,बेहतरीन
जवाब देंहटाएंwelcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
चकाचक है । वैसे कविता लिखते समय तो मौसम सुहाना रहा होगा। :)
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