मन्त्र के जाप सा
तुमने फिर कहा
मैंने तुमको फिर
मुक्त कर दिया ..
हाँ ! मैंने तुम्हे
छोड़ दिया
जीवन नदिया की
धार में ,ऐसे ही
मंझधार में
बने रिश्तों के तार
रेशा-रेशा खोल दिया !
हाँ ! ये सच
मैं भी मानती हूँ
परन्तु इसका कारण
हाँ इसका कारण
कभी जानना चाहोगे ?
सोच कर देखना
शायद समझ जाओ ..
वैसे छोड़ देना तो
बहुत आसान है
कठिन तो थामना है
थाम लेने को तो
पास आना पड़ता है ...
एक बात जानते हो
छोड़ने के लिए भी
पहले बढ़ कर
राहों को थामना
पड़ता है ........
पर क्या सच में तुम
कभी भी ,कहीं भी
यूँ ही छोड़ पाये हो
छोड़ने का अभिनय
करते-करते तुम भी
हर श्वांस आस का
रीता दामन थामते रहे........
-निवेदिता
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंअच्छी भावाव्यक्ति निवेदिता जी...
बनाना कठिन है ... बिगाड़ना आसान
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्दों का संयोजन ...।
जवाब देंहटाएंविपरीतता का आकर्षण.......सुन्दर पोस्ट|
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन...........
जवाब देंहटाएंhttp://jeevanvichar.blogspot.com
बहुत सार्थक प्रस्तुति, आभार|
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंऔरों को मुक्त करते करते स्वयं मुक्ति पा ली..
जवाब देंहटाएंबहूत सुंदर भावाभिव्यक्ती है
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!!
जवाब देंहटाएंवैसे छोड़ देना तो
जवाब देंहटाएंबहुत आसान है
कठिन तो थामना है
बहुत सही बात कही .....
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वैसे छोड़ देना तो
जवाब देंहटाएंबहुत आसान है
कठिन तो थामना है
सुन्दर रचना....
सादर..
सुन्दर प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से नववर्ष की शुभकामनाएँ।
छोड़ने का अभिनय
जवाब देंहटाएंकरते-करते तुम भी
हर श्वांस आस का
रीता दामन थामते रहे........
...बहुत खूब! बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
छोड़ने का अभिनय ! क्या बात है! :)
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