चाहत ........
हाथों की
लकीर बनाओ
या अपनी
किस्मत की रेखा
बस रखना प्रिय
अपने हथेली की
सहज छाँव में !
चाहे जो बनो
सुलझी उलझन
या फिर
उलझी उलझन
पर बनो
सिर्फ मेरी ही
मेरी अपनी
सपनीली उलझन !
शायद चाहत
कुछ अधिक है
तुमसे तुमको ही
चुरा लाने की
पर अपनी तो
यही चाहत है
कुछ यूँ ही हर हद
बेखुदी में तोड़ जाने की !
-निवेदिता
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...वाह!
जवाब देंहटाएंसब लिख डाला इन हाथों ने।
जवाब देंहटाएंइसी चाहत में मन की उथलपुथल के साथ जी लेता है इन्सान
जवाब देंहटाएंचाहतों का सुनहरा संसार ...हथेली में
जवाब देंहटाएंचाहे जो बनो
जवाब देंहटाएंसुलझी उलझन
या फिर
उलझी उलझन
पर बनो
सिर्फ मेरी ही
मेरी अपनी
सपनीली उलझन !
Wah!! Wah!!!
Bahut khoob...
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सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंगहरे अहसास।
nice lines
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द बेजोड़ रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत अच्छी लगी आपकी यह प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंशब्द और भावों का अदभुत संगम.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,निवेदिता जी.
हनुमान लीला आपको पसंद आएगी.
हद को तोड़ जाने की जब हो जाए चाहत,
जवाब देंहटाएंतो बस इसी को कहते हैं बेइंतहा मुहब्बत।
gahare pren ka ahsas karati
जवाब देंहटाएंsundar abhivykti...
सुन्दर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंkhubsurt rachnaa...
जवाब देंहटाएंaur pyari see chahat:)
hamne bhi hath ke laakiron pe likha hai... ek bar dekhna...!
बेखुदी की हद को तोडती नज़्म.. बहुत बढ़िया लिखा है...
जवाब देंहटाएंहाथों की
जवाब देंहटाएंलकीर बनाओ
या अपनी
किस्मत की रेखा
बस रखना प्रिय
अपने हथेली की
सहज छाँव में !
बहुत खुबसूरत अल्फाज़ हैं |
Khoobsoorat prastuti
जवाब देंहटाएंNo words ...... how have you touched feelings of bottom of heart.... Excellent madam...
जवाब देंहटाएंक्या मासूम चाहत है। वाह! :)
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