उमगती है आँधी ,उजड़ता है उपवन
जब रिसती हैं आँखें, बरसता है मन !
डगर रीत की , याद मीत की
टेसू उजाड़ गये ,हार जीत की
बंसरी मूक हुई ,साँवरे छुप गए
सिसकती है राधा ,सोच प्रीत की !
कसकती हैं यादें ,छलकता है जतन
जब रिसती हैं आँखें, बरसता है मन !
माटी है मिलती ,माटी है गलती
काया की माया ,हर पल है छलती
चक्र चलता गया ,जीव छलता गया
नहीं कोई गलती ,तब भी है गलती !
बरसती हैं साँसें ,सहमता है तन
जब रिसती हैं आँखें, बरसता है मन !
कच्चा है तन ,साया है बाँस का
पल पल है छीजे ,छाजन आस का
बोझ है भारी ,सम्हाले है गठरी ,
राह देखे है #निवी उस खास का
बिलखती चंदनिया ,बिछुड़ता सजन
जब रिसती हैं आँखें, बरसता है मन !
#निवी
भावनाओं से ओतप्रोत हृदयस्पर्शी रचना
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