#शीर्षक : चिराग़ का जिन्न
"कितनी आसानी से तू मेरी हर माँग पूरी कर देती है ... सच्ची एकदम चिराग़ की जिन्न है मेरी माँ " , कहती हुई नन्ही सी अंशु माँ के कन्धों पर झूल रही थी कि उसने सहलाते हाथों और दुलराती पलकों से बच्ची को गोद में सहेज लिया ," ना बेटी चिराग का जिन्न बिना दिखे ही हर चाहत पूरी करता है न ... हम सब की जरूरतें पूरी करने के लिए ,भोर से देर रात तक काम करते बिल्कुल तेरे पापा जैसे !" #निवी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 07 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लघु-कथा..
जवाब देंहटाएंवाह । बढ़िया लघुकथा ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर | संकेतों संकेतों में सब कुछ कह देने वाली लघु कथा | शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंपिता को भी सम्मान देना एक नया पहलू। बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंमेहनत को इंगित करती सुंदर लघुकथा ।
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