शनिवार, 23 मई 2020

भीगा सा नाता



आँसू और पलकों का
ये कैसा भीगा सा नाता है
एक बिखरने को बेताब
तो दूजा समेटने को बेसब्र

ये बेताबी और ये बेसब्री
ये बिखराव और ये सिमटन
दिल की आती जाती साँसों सी
धड़कन को भी सहला जाती

आँसुओं का दिल लरजता
उनकी अजस्र धारा बुझा न दे
पलकों के चमकते दिए
पलकें थमकती है कहीं
राह थम न जाए और
सूख न जाए नयन सरिता

आँसुओं का आना जाना
बयान करते दिलों का अफसाना
मन कभी सूफी बन उठाता इकतारा
कभी जल कर बन जाता परवाना
         .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

1 टिप्पणी: