सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

लघुकथा : बुके

लघुकथा : बुके

सखियों की मण्डली खिलखिलाती बातें करती लॉन में जमी थी । बातों का दौर न जाने कहाँ - कहाँ की सैर करता घर की तरफ मुड़ गया और अनायास ही एक - दूसरे की प्रशंसा और टिप्स लेने - देने का दौर चल निकला ।

शान्त सी बैठी निकिता की तरफ सब एकदम से ही घूम पड़ीं ,"सच घर रखने के तौर - तरीके तो तुमसे सीखने चाहिए । हर सामान अपने स्थान पर इतने व्यवस्थित रूप में रहता है कि आँखें बंद कर के और कदमों को गिन कर उठा लो । सच बता न इतनी अच्छी तरह से कैसे मैनेज कर लेती हो ।"

निकिता चुप चुप सी मन्द मुस्कान बिखेरती रही । सबके बार - बार पूछने पर बोल पड़ी ,"बिखेरनेवाले जो साथ नहीं हैं .... कोई बात नहीं अब जब मैं बस बाग नहीं सजा पाती हूँ तो ऐसे ही छोटे - छोटे लम्हों वाली पार्टी के बुके बना लेती हूँ ।"
      .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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