उदासी की क्लियरेंस सेल ......
रोज ही देखती हूँ
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बाजारों में
लगी हुई सेल का
कभी कपड़ों की
तो कभी बर्तन की ,
कभी मकान की
तो कभी दूकान की भी ,
कभी तंत्र - मंत्र की
तो कभी सौष्ठव बढ़ाने की ,
रोज ही तलाशती हूँ
काश ....
कहीं दिख जाए
एक ऐसी भी सेल
जो बन सके
अंतमन में बसेरा बनाये बैठी
उदासी की क्लियरेंस सेल ...... निवेदिता
ये शब्दों से क्या न करवा दो ..........
जवाब देंहटाएंउड़ा दो उदासियाँ !!
क्या खूब इच्छा है तुम्हारी....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है,निवेदिता
जवाब देंहटाएंइतनी भी उदासी जमा न किया करो ,
जवाब देंहटाएंअब निकाल फेंको फट से मेरे साथ .
न इंतज़ार करो कि लगेगी कोई सेल
जिसने भी लगाई है ,सबकी हुई है फेल....
इतनी भी उदासी जमा न किया करो ,
जवाब देंहटाएंअब निकाल फेंको फट से मेरे साथ .
न इंतज़ार करो कि लगेगी कोई सेल
जिसने भी लगाई है ,सबकी हुई है फेल....
बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएं👍
बेहतरीन अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएं👍
ये उदासी उपज है अंतर्मन की तो उसीके द्वारा क्लियरेंस सेल भी लग जाएगी और चुटकी बजाते ही स्टॉक क्लियर भी .... सुन्दर रचना ... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंवह तो घर में ही होगी, अपनों के बीच।
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