बेसबब
यूँ ही सी
एक चाहत
ने सरगोशी की
आज
अपनी सारी
उलझनों
या कह लूँ
दुश्वारियों को
समेट कर
सहेज लेती हूँ
अपने ही
पोशाक की
दराजों (जेबों) में
बस तू इतनी ही
रहमत बरसाना
उन दराजों में
अपनी नियामत का
एक सुराख बना देना ..... निवेदिता
यूँ ही सी
एक चाहत
ने सरगोशी की
आज
अपनी सारी
उलझनों
या कह लूँ
दुश्वारियों को
समेट कर
सहेज लेती हूँ
अपने ही
पोशाक की
दराजों (जेबों) में
बस तू इतनी ही
रहमत बरसाना
उन दराजों में
अपनी नियामत का
एक सुराख बना देना ..... निवेदिता
प्रार्थना की काव्यात्मक अभिव्यक्ति अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दी
जवाब देंहटाएंकभी छुटकी के ब्लॉग पर भी आना :)
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