रविवार, 6 जुलाई 2014

तुमने कहा था ......


तुमने कहा था 
निगाहें  फेरने के पहले 
"तुम जैसी बहुत मिल जाएगी "
अरे ये क्या 
मुझको छोड़ने के बाद भी 
चाहत क्यों तुम्हे 
मुझ जैसी की ही  ! 

आँसुओं से भरी 
ये आँखे छुपी रहें
कहीं दिख न जाएँ 
इनकी धारियां कपोलों पर  
हाँ ! बरसात में भीगने का 
एक शौक नया पाला है हमने  !

अब शायद समय ने भी 
ग्रहों की तरह 
बदल ली है 
अपनी चाल
सितारे चाँद को छोड़ 
सूरज के साथ झुलसने को 
अभिशप्त हैं  !


तुमने कहा था 
तुम मेरी दुनिया 
बदल दोगे 
सच ही कहा था 
अब जो दुनिया 
तुमने छोड़ी है मेरे लिए 
उसमें तो तुम ही बदल गए हो  ............. निवेदिता 

9 टिप्‍पणियां:

  1. समय के साथ आते कितने उतार चढ़ाव..... मन के द्वंद्व की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. ऐसे लोगों का अफ़सोस बेकार है... जो गया वो तुम्हारा नहीं था और अगर तुम्हारा है तो वापस आएगा तुम्हारे ही पास... तो आँसुओं को क्यों ज़ाया करना.
    बहुत अच्छी रचना!!

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  3. ब्लॉग बुलेटिन आज की बुलेटिन, गुरु गुरु ही होता है... ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. आँसुओं से भरी
    ये आँखे छुपी रहें
    कहीं दिख न जाएँ
    इनकी धारियां कपोलों पर
    हाँ ! बरसात में भीगने का
    एक शौक नया पाला है हमने !
    .... भावमय करती पंक्तियां

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  5. जो बदल गया उसको छोड़ना ही अच्छा है ... फिर दुनिया तो वैसी ही रहती है खुशनुमा चाहो तो ... मन के एहसास को शब्द दे दिए आपने ...

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  6. सितारे चाँद को छोड़
    सूरज के साथ झुलसने को
    अभिशप्त हैं !

    वाह बेहतरीन पंक्तियाँ

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