बुधवार, 2 जुलाई 2014

आइसक्रीम सा जीवन .....



जीवन अपना 
एक आइसक्रीम जैसा 
इसको तो पिघलना है 
चाहे इसके छोटे टुकड़े कर के 
मुँह में रख लें ,या फिर 
हाथ में थाम कर देखते रहें 
और व्यर्थ जाने दें ...… 

ये जो छोटे - छोटे से पल हैं 
जी चाहे तो जी लो 
जी न चाहे तो बीत जाने दो 
पर पिघली हुई आइसक्रीम 
पिघल कर याद बहुत आती है ..... निवेदिता 


14 टिप्‍पणियां:

  1. क्‍या बात है .... जी चाहे तो जी लें
    जी न चाहे तो बीत जाने दें

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  2. पिघलकर बहने न दिया जाय....
    lick it fast :-)

    anu

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  3. उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@दर्द दिलों के
    नयी पोस्ट@बड़ी दूर से आये हैं

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  4. बस ऐसे पल ही असल जीवन हैं ... जीने के लिए ...
    यादें जोड़ने के लिए इनका होना जरूरी है ...

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  5. सच है ---जीवन को आइसक्रीम जैसा ही पिघलना है.आइसक्रीम की तरह ही जीवन कब पिघल जाता है पताही नही चलता !

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  6. सच आइसक्रीम सा पिघल जाना है इस जिंदगी को एक दिन ...
    बढ़िया चिंतन

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  7. बहुत बढ़िया...आपके ब्लॉग पर आना बहुत अच्छा लगा

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