यादें तुम्हारी सावन सी
कितना भी हटाओ
जातीं ही नहीं !
बातें तुम्हारी मिश्री सी
जब भी सुनूँ
रसभरी लगे !
अनबन तुमसे माखन सी
यादों की धड़कन में
अटक नहीं पाती !
साथ तुम्हारा शमी (वृक्ष) सा
ज़िंदगी की धूप
इन्द्रधनुषी लगे !
तुम थे तुम ही हो
यादें बस इसी की
सलोनी लगे !
तुम थे तुम ही हो
यादें बस इसी की
सलोनी लगे !
लम्हे साथ जो बिताये
हर रंग की रंगत संजोये
श्वेतमना सजे !
निवेदिता ……
हर रंग की रंगत संजोये
श्वेतमना सजे !
निवेदिता ……
साथ तुम्हारा शमी (वृक्ष) सा
जवाब देंहटाएंज़िंदगी की धूप
इन्द्रधनुषी लगे !
प्यारी सी पंक्ति , कुछ अपनी सी .......... बेहतरीन तो लिखते ही हो :)
बेहद बेहतरीन रचना ..वाह कितनी बारिक नजर और अहसास को आपने शब्दों का जामा पहनाया है... उम्दा
जवाब देंहटाएंकोमल भावो की अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंमधुर-मधुर रस बरस रहा है :)
जवाब देंहटाएंप्यारी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (02-05-2014) को "क्यों गाती हो कोयल" (चर्चा मंच-1600) में अद्यतन लिंक पर भी है!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका :)
हटाएंबातें तुम्हारी मिश्री सी
जवाब देंहटाएंजब भी सुनूँ
रसभरी लगे !
So beautiful !!! ye aappar bhi laagu hota hai bhabhi !!!
भाई कहीं डायबिटीज़ न हो जाये :P
हटाएंयादें तुम्हारी सावन सी
जवाब देंहटाएंकितना भी हटाओ
जातीं ही नहीं .....बहुत खूब !!
भावमय करते शब्दों का संगम ........
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंकल 04/05/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
आभार ......
हटाएंस्मृतियाँ हृदय को पोषित करती रहें।
जवाब देंहटाएंभुत खूब ... मन में बंधी रहती हैं बीती बातें खुशबू की तरह ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है..
जवाब देंहटाएंतुम थे तुम ही हो
जवाब देंहटाएंयादें बस इसी की
सलोनी लगे
सुन्दर रचना
यह छाया यह खुशबू, यह माखन यह मिस्री, सदा आपके जीवन में यूं ही प्रेम रंग बरसाती रहे। :) शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं