गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

बस एक भटका हुआ ख़याल ......

अपने सपने कभी भी 
आँखों में न बसाये रखना 
बाँध टूटेंगे जब पलकों के 
अँसुवन संग बहते हुए 
समय की भँवर में 
अटकते - भटकते 
ना पा सकेंगे कोई ओर - छोर !

सपने तो बस सजा लेना 
अपने दिल की अबूझ सी 
अतल गराइयों में 
हर पल की मासूम सी 
धड़कती संवेदनाएं 
उनमें भर देंगी 
अलबेले रंगों की अनथकी उड़ान ! ..... निवेदिता  

10 टिप्‍पणियां:

  1. इस भटके ख्याल ने दिल में पनाह पा ली है....
    बहुत सुन्दर !!
    सस्नेह
    अनु

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  2. सपने कहाँ अपनी मर्जी से पलते हैं , कहाँ पलना है उन्हें .....

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  3. सपनों मे ही सही अन थकी उड़ान :)
    बहुत सुंदर !!

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  4. सपने क्या बस सजाने को होते हैं ... उन्हें पूरा करने का संकल्प लेना चाहिए ... हिम्मत से शायद पूरे हो सकें .. भावपूर्ण रचना ...

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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