अपने सपने कभी भी
आँखों में न बसाये रखना
बाँध टूटेंगे जब पलकों के
अँसुवन संग बहते हुए
समय की भँवर में
अटकते - भटकते
ना पा सकेंगे कोई ओर - छोर !
सपने तो बस सजा लेना
अपने दिल की अबूझ सी
अतल गराइयों में
हर पल की मासूम सी
धड़कती संवेदनाएं
उनमें भर देंगी
अलबेले रंगों की अनथकी उड़ान ! ..... निवेदिता
आशा भरे संवेदनशील भाव ......
जवाब देंहटाएंइस भटके ख्याल ने दिल में पनाह पा ली है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !!
सस्नेह
अनु
सपने कहाँ अपनी मर्जी से पलते हैं , कहाँ पलना है उन्हें .....
जवाब देंहटाएंसपनों मे ही सही अन थकी उड़ान :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !!
सपने क्या बस सजाने को होते हैं ... उन्हें पूरा करने का संकल्प लेना चाहिए ... हिम्मत से शायद पूरे हो सकें .. भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंएक खूबसूरत उड़ान
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंलाजवाब एहसास ।
जवाब देंहटाएंसादर
Bahut sundar aur sarthk disha ki or
जवाब देंहटाएंKhoobsoorat andaj me sarthak panktiyan
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