सोमवार, 17 मार्च 2014

आज का अनुभव .... एक प्यारा सा एहसास


पिछले वर्ष ११ जुलाई दीदी ,मेरी जिठानी ,के देहावसान की वजह से ,हमारे रोज के काम ही किसी प्रकार बस एक खानापूरी की तरह होते हैं , तो किसी भी पर्व को उत्सवित करने का तो प्रश्न ही नहीं था  .... वो तो हर पर्व ,विशेषकर होली को तो बहुत ही अधिक जोश से मनाती थीं  .... कल से मन उनके साथ बिताई हुई होली की यादों में लुकाछिपी सी खेल रहा था  .... इस उदासी के ही किसी पल में मेरी एक सहेली का फोन आया ये पूछने को कि आज मैं क्या कर रही हूँ  ,मैंने भी अनमना सा जवाब दे दिया कि कुछ नहीं और अपने को दूसरे कामों में उलझा लिया  .... थोड़ी ही देर बाद हमारे घर की घंटी बजी तो मैंने पतिदेव को कहा ," देखिये कोई आपका ही मित्र होगा "  .... गेट खुलने के साथ ही अपने नाम की पुकार सुनी  तो  थोड़ा  आश्चर्य हुआ मेरी सभी सखियाँ खड़ी थीं  .... जब मैंने कहा कि इस वर्ष तो हम कोई भी पर्व नहीं मना रही हैं ,तो उनका उत्तर मेरी पलकें भिगो गया  .... उन्होंने कहा कि हम इसीलिये सबसे पहले तुम्हारे घर आये हैं और हम भी कोई त्यौहार नहीं मना रहा हैं बस तुम्हारी मंगलकामना करने आये हैं ,हमारा साथ सिर्फ सुख का ही नहीं दुःख को भी बाँट कर हल्का करने का भी है  .... साथ में आयीं एक बुज़ुर्ग सी आंटी ,जो मुझको अपनी बेटी मानती हैं , ने एक टीका अबीर का मेरे माथे पर लगा दिया और कहा ,"तुम्हारे मन की उदासी तो समय और ईश्वर ही कम कर पायेगा ,पर ये टीका तुम्हारे उतरे हुए चेहरे पर कुछ तो रंग लाएगा "  .... 

अपनी इन सखियों के जाते ही ,जैसे ही मैं अपने घर के अंदर आने लगी कि एक और समूह मेरी कुछ और सखियों का भी आ गया  .... सबके माथे पर सिर्फ एक टीका लगा था अबीर का ,उन्होंने भी मुझे एक टीका लगाया और कहा कि ये टीका किसी भी पर्व का नहीं अपितु सिर्फ शुभके भाव का है  …. उनकी बातों से मैं इतनी अभिभूत हो गयी कि मैंने भी उनसे ही अबीर ले कर उनके माथे पर भी टीका सजा दिया और अनुरोध किया कि वो लोग होली के पर्व को अपने घरों में जरूर मनाएं  .... 

इन दोनों अनुभवों के बाद से मन इतना भरा - भरा सा है कि लग रहा अपने अनजाने में ही हम कितने प्यारे और अनमोल रिश्ते बना लेते हैं जो हमारे मन की उदासी को अपने मन से बाँटना चाहते हैं  .... 

आज इन दोनों बातों से एक बहुत बड़ी सीख भी मिली ,कि किसी के दुःख भरे लम्हे कम करने के लिए सिर्फ उसको अकेला छोड़ना ही हर बार पर्याप्त नहीं होता बल्कि साथ में भी कुछ बोलते हुए पल भी बिताना चाहिए                                                                                                               …. निवेदिता 

9 टिप्‍पणियां:

  1. रिश्ते मन के , भाव के , नीयत के ... शुभकामनाएं .

    जवाब देंहटाएं
  2. दुःख में अपने के साथ से बेहतर दवा कुछ नहीं होती !!
    सच कहा !!
    अच्छा लगता है स्नेहल साथ...
    ढेर सारी शुभकामनाएं!!

    जवाब देंहटाएं
  3. यही तो ख़ासियत है इस तयौहार की... लेकिन धीरे धीरे यह सब लुप्त होता जा रहा है!!

    जवाब देंहटाएं
  4. होली.... जो सबकी हो-ली. ये त्यौहार एक दूसरे को अपनाने का है. और हां रिश्ते तो सचमुच क्या कहूं...ऐसे बन जाते हैं जो जीवन भर साथ चलते हैं और हर मौके पर साथ निभाते हैं...

    जवाब देंहटाएं
  5. मन के दुख मिटा सबके साथ मिल बैठने का त्योहार है होली।

    जवाब देंहटाएं
  6. यह तो सच्चे रिश्ते हैं दी शायद इसलिए दोस्ती का रिश्ता बाकी सब रिश्तों से ज्यादा बड़ा और मीठा होता है। नहीं ?

    जवाब देंहटाएं
  7. Yahee To Khaasiyat Hamaare Samaaj Kee - Jo Har Pal, Hamaare Gam Ko Bhulaane Mein Sahaaytaa Hee Kartee Rahtee Hai...Good Morning Mere Dost, Have A good Day....

    जवाब देंहटाएं