नन्ही सी फ़ाख्ता दुनियावी तौर - तरीको से बेखबर अपनी छोटी सी दुनिया में मगन थी । अपने नन्हे - नन्हे पंजों में समा पाने लायक आसमान को ही उसने अपनी दुनिया बना रखा था । उसको न तो बड़ी सी दुनिया की चाहत थी और न ही दूसरों को मिली असीमित सीमाओं से शिकायत ! छोटी - छोटी आँखों में पलते सपने भी बड़े मासूम थे । उन सपनों से ही जैसे उसका जीवन ऊर्जा पाता था ।
बदलते लम्हों को जैसे उसकी निर्द्वन्द किलकारियां असह्य हो गईं और हर पल उसकी सीमाओं का एहसास उसको कराया जाने लगा । उसकी अच्छाइयां ही जैसे उससे शत्रुता करने लगीं थीं ! उसकी मासूमियत उसकी सबसे बड़ी बाधक बन गयी । उसने कभी निगाहों की भाषा और लबों की भाषा में अंतर नहीं रखा , शायद इसीलिये उसके पंखों को नोचने बढ़ते हाथों को वो देख नहीं पायी ।
कभी सुना था कि कार्य से अधिक सोच या कह लें नीयत अधिक फल देती है और उसने इसका अनुभव भी हर पल में किया । शायद सबका शुभ चाहने और सोचने की उसकी सहजता उसको फल देने लगी थी । अब उसके नन्हे पंजों और कमजोर पंखों में अब ईश्वर अपना स्नेह भरने लग गया था और उसके नन्हे कदम और छोटी - छोटी उड़ान अब उसकी गरिमा मानी जाने लगी । उसका उपहास बनाते लम्बे कदम भी छोटे - छोटे कदम रखने का प्रयास करने लगे हैं । शायद यही उस कमजोर फ़ाख्ता की नीयत की शुभता थी .......
- निवेदिता
कभी सुना था कि कार्य से अधिक सोच या कह लें नीयत अधिक फल देती है और उसने इसका अनुभव भी हर पल में किया । शायद सबका शुभ चाहने और सोचने की उसकी सहजता उसको फल देने लगी थी । अब उसके नन्हे पंजों और कमजोर पंखों में अब ईश्वर अपना स्नेह भरने लग गया था और उसके नन्हे कदम और छोटी - छोटी उड़ान अब उसकी गरिमा मानी जाने लगी । उसका उपहास बनाते लम्बे कदम भी छोटे - छोटे कदम रखने का प्रयास करने लगे हैं । शायद यही उस कमजोर फ़ाख्ता की नीयत की शुभता थी .......
- निवेदिता
वाह ...पल पल निखरे बिखरे आखर .....!!
जवाब देंहटाएंशुभता से परिपूर्ण ...सुन्दर सकारात्मक आलेख निवेदिता जी ....
काश, हमारी कोमल भावनायें बनी रहती..सदा के लिये।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावनाएं
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन...
जवाब देंहटाएंsunder abhibykti hai, ati komal........
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