उसने कहा
आँखें तुम्हारी
सीप सी
और मैंने
मोती बरसा दिए !
उसने कहा
आँखों में तुम्हारी
आँसू क्यों ....
आँखों से लुढ़के
और पानी बन गये !
उसने कहा
आँखें तुम्हारी
गोमुख सी
लब लगाये
और पावन हो गये !
उसने कहा
आँखें तुम्हारी
ज़िन्दगी मेरी
साँसे मेरी
बस बहक गईं !
उसने कहा
आँखें तुम्हारी
प्यासी बड़ी
नजरें मिलीं
और भर गईं !
-निवेदिता
बहुत प्यारी कविता है निवेदिता...
जवाब देंहटाएंप्यार सी मीठी और आंसुओं सी नमकीन भी...
सस्नेह
अनु
दोस्तों जैसी मनमौजी भी :)
हटाएंअरे वाह !
जवाब देंहटाएंइतना सबकुछ करतीं हैं आँखें, फिर तो देखनी पड़ेंगीं इनको :)
इसीलिये तो बुलाया है :)
हटाएंहलचल की लहरों में सम्मिलित करने के लिए शुक्रिया :)
जवाब देंहटाएंबहुत मीठी सी कविता, पढ़कर मन आनन्दमय हो गया।
जवाब देंहटाएंआभार :)
हटाएंBeautiful :)
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता | गज़ब
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
Waaaah...So Beautiful...sabse pyaara sa pahla wala hi laga :
जवाब देंहटाएंउसने कहा
आँखें तुम्हारी
सीप सी
और मैंने
मोती बरसा दिए ! :)
भाव भरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकहना और व्यक्त करना अत्यंत जरूरी है। अगर किसी बात की प्रशंसा हो रही है तो इसमें और निखार आता है। बस आपकी कविता में आंखों के माध्यम से यही हो रहा है। एक-दूसरे के प्रति भरपूर प्रेम ओर समर्पण की अभिव्यक्ति कविता में है।
जवाब देंहटाएंआँखों का ही तो खेल है सब जगह ... बिना शब्द भी कहती हैं बहुत कुछ ...
जवाब देंहटाएंआँखों के भाव ही कुछ ऐसे होते हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना
साभार!
वाह ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमासूम सी प्यारी कविता ....
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भाव ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
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