रविवार, 8 जुलाई 2012

" गरजत बरसत साहब आयो रे "



सावन का महीना मुझे तो बहुत अच्छा लगता है | कभी तेज़ तो कभी धीमी पडती बौछारें लगता है किसी सखी ने राहें रोक कुछ प्यारा सा गुनगुना दिया हो | इधर दो - तीन दिनों से अनवरत पड़ने वाली फुहारें ही एक  नया उत्साह सा जगा रही  हैं | जाने  कितने  भूले - बिसरे गीत यादों में दस्तक दे  रहें हैं  | सावन  की  सबसे बड़ी खासियत इसका संगीतमय रूप है ... इसमें फ़िल्मी गीत तो है ही कजली भी खूब याद आती है | 

झूले पर अथवा  बिना झूले के  भी सब सावनी गीतों का आनन्द लेते हैं | अपनेराम भी सुबह से ही कई गीत बिना कमर्शियल ब्रेक के गुनगुना रहें हैं | इसमें "टिप टिप बरसा पानी " ,"सावन के झूले पड़े ", "बरसों रे मेघा ", "बरसात में हम से मिले तुम " जैसे कई गीतों के बाद  , जैसे ही अगला गीत "गरजत  बरसत सावन आयो रे " शुरू किया भूकम्प के झटके से महसूस हुए | जब मैंने डरते - डरते इस भूकम्प के स्रोत का पता लगाना चाहा तो जल्दी ही इत्मिनान की साँसें लीं | दरअसल मेरे गीत के बोलों में थोड़ा परिवर्तन हो गया था | "गर्जत बरसत सावन आयो रे"  की  जगह " गर्जत बरसत साहब आयो रे " हो गया था | परन्तु हमने भी पत्नी - धर्म का पूरा पालन  करते हुए इस गर्जन को  अनदेखा  कर  दिया और दुगने जोश  से  गुनगुनाने लगे | पर अब तो हमारी ढोलक , हारमोनियम  यहाँ तक कि सितार ने  भी  भयवश हमारा साथ देने से इनकार कर किसी कोने में छुप जाना श्रेयस्कर समझा | अब तक हमारे अंदर की भारतीय नारी जाग चुकी थी और पति की मदद को तत्पर हो गयी थी |

मैं बहुत संवेदना जताते हुए पूछा- "क्या हो गया ? कुछ कार्यालय की परेशानी है क्या ?" प्रतिउत्तर में पतिदेव ने आईना देखते हुए ही कहा -"ये देखो मेरी मूंछ का एक बाल सफेद हो गया |" मैं वाकई धर्मसंकट में पड़ गयी कि कैसे अपनी हंसी छुपाऊँ और उनकी समस्या का समाधान करूँ ! सभी  सती - नारियों का स्मरण करते हुए दुखी और गम्भीर शक्ल बनाते हुए इस इकलौते सफेद बाल का कारण जानना चाहा | उन्होंने कहा कि उस बाल के हिस्से  का  रंग  दुसरे बालों ने चुरा लिया है और दलित - दमित की तरह उस को धूप भी नहीं सेंकने दिया ,वरना धूप  में  ही  "सनबर्न"  के कारण काला हो जाता !  हम  दोनों ने एक आपातकालीन बैठक की और इस समस्या से निपटने के तरीके खोजना शुरू किया | शादी के समय सुख - दुःख  में  साथ निभाने की  ली  गयी कसमों की याद आते ही हमने उनको सुझाव देना शुरू किया | सबसे पहले मैंने कहा कि उस बाल को मैं काजल से रंग देती हूँ , पर उन्होंने अस्वीकार कर दिया कि पानी पड़ने पर या पसीना होने पर वो  बाल  तो  सफेद हो जाएगा पर होंठ लाल की जगह काले लगेंगे और फिर इस के लिए मेरे ऊपर निर्भरता भी तो हो जायेगी | तब भी मैंने हिम्मत दिखाते हुए प्लकर ( बोले तो भौं - नोचनी ) खिदमत  में  पेश किया कि  उस  इकलौते  बाल  को उखाड़ फेंको | तभी उनको कहीं पढ़ी हुई बात याद आ गयी कि सफेद बाल उखाड़ने पर उससे निकलने वाले तरल द्रव से आसपास के बाल भी सफेद हो  जाते हों  और  मेरा ये दूसरा प्रयास भी रद्दी के टोकरे के हवाले हो गया | अभी भी विचार - विमर्श जारी है क्योंकि मेरी उपजाऊ बुद्धि ने उनकी  सहायता  करने  के  लिए  एक  और उपाय खोज निकाला है | मैंने कहा है कि वो क्लीनशेव हो जाएँ और इस वर्णभेद की दिक्कतों से ऊपर उठ जाएँ ! देखते हैं अंतिम निर्णय क्या होता है .... अगर ऐसा हो गया तो उनके प्रोफाइल में एक नयी फोटो देखिएगा ....... 
                                                                       -निवेदिता 

27 टिप्‍पणियां:

  1. मैंने कहा है कि वो क्लीनशेव हो जाएँ और इस वर्णभेद की दिक्कतों से ऊपर उठ जाएँ ! देखते हैं अंतिम निर्णय क्या होता है ....

    यह भी खूब रही.

    न रहेगा बांस,न बजेगी बांसुरी.

    रोचक है आपकी प्रस्तुति.

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  2. हा हा हा मज़ा आ गया आपका अन्दाज़ पढकर ………वैसे आजकल क्लीन शेव का ही ज़माना है:)

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    1. सुख-दुःख में साथ निभाने की कसम ली है इसीलिये मैंने इस पोस्ट की कुछ पंक्तियाँ सफेद कर दी है ...-:)

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  3. :-)
    बॉस की नयी फोटो का इन्तेज़ार है बेसब्री से.....

    सस्नेह
    अनु

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    1. समस्या तो अभी मेरी कल्पनाओं में ही है ,इसीलिये फोटो साथ ही लगा दिया है कि कुछ काम दोस्तों की कल्पना भी करे ...-:)

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  4. हमें नयी फोटो का इंतजार है।
    यह लेख देखें - पहिला सफेद बाल
    http://hindini.com/fursatiya/archives/235

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    1. फोटो का निर्णय अभी विचाराधीन है .....
      आदेश का पालन कर दिया पढ़ आये ....-:)

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  5. अब तो एक ही उपाय है..वहीं कर लें, बड़े फबेंगे..

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  6. हा हा , ये भी बढ़िया रहा . प्रोफाइल में दूसरी तस्वीर भी फबेगी.

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  7. क्या बात है वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 09-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-935 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  8. क्या बात है वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 09-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-935 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  9. अजी आपने तो बाल की भी खाल क्या जड़ ही निकाल दी ,बढिया से भी बढिया प्रस्तुति .
    कृपया यहाँ भी पधारें -

    शुक्रवार, 6 जुलाई 2012
    वो जगहें जहां पैथोजंस (रोग पैदा करने वाले ज़रासिमों ,जीवाणु ,विषाणु ,का डेरा है )

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  10. मजेदार ........पर सोचने वाली बात ये हैं कि आप दोनों पति..पत्नी ब्लोगिंग से कैसे जुड़े हैं ...????

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  11. वाह क्या बात है.बहुत सुन्दर.बहुत रोचक..

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  12. हुंह अपने जैसा बनाना चाहती हैं मर्द आदमी को :-)

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  13. ha ha ha... maza aa gay apadhkar..
    humko jaldi se unki nayi photo dekhni hai.. ;-)
    waiting.... waiting.....

    शुक्रिया ज़िन्दगी.....

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  14. सही है अब और कोई रास्ता बचा ही नहीं ... :)

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  15. मजेदार शीर्षक, बढ़िया हास्य-व्यंग्य।
    विचार-विमर्श जारी रहे।

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