आज .....
तलाशना चाहतीं हूँ
अमावस का चाँद
ऐसा कुछ
असम्भव भी नहीं
काली अंधियारी रात
भी पूनम के चाँद सी
चमक किलकती है
वो शून्य ,वो वीरानी
वो रिक्ति की विरक्ति
सब कुछ पा कर
चुने गये पुष्पों सी
खाली हुई शाखा भी
आंचल तले खिले
सुमन की सुरभि
से गर्वित होती
पूजन के थाल में
सजी-संवरी
अपनी पहचान
कृष्णार्पण होते देख
अपना सूनापन भूल
बहक-बहल जाती है
बताओ तो ऐसा भी
कहाँ असम्भव चाहा
बस अँधियारी रात में
पूनम का चाँद ही चाहा
इस अमावस की चांदनी
तुम्हारे चेहरों में खिलती है
तुम्हारी खिलखिलाहट की
रेखाएं मेरे प्राण में बसती हैं ......
-निवेदिता
-निवेदिता
बेहतरीन अभिव्यक्ति की सुंदर रचना,,,,, ,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,
सच में बच्चों में ही तो प्राण बसते हैं माता पिता के... :-) सुन्दर कविता....
जवाब देंहटाएंशेखर , बच्चे तो माता-पिता की श्वांसों के चलने का कारण होते हैं ..:)
हटाएंकोमल भाव लिये
जवाब देंहटाएंबहूत सुंदर ममत्व भरी रचना...
बहुत ही ममता मई रचना ...आभार निवेदिता जी
जवाब देंहटाएंहंसी और खिलखिलाहट हर अमावस को पूनम बना दे।
जवाब देंहटाएंकविता दिल को छू गयी... आभार !
जवाब देंहटाएं........अमावस का चाँद दिख जाये तो बताईयेगा !!
मुझे तो अमावस का चाँद आज सुबह-सुबह ही दिख गया ... बच्चे घर आ गये हैं :))
हटाएंअब समझ आया :)
हटाएंबेहतरीन कविता।
भाई लोगों को हमारी हेलो :)
सादर
प्यारी दुलारी रचना....
जवाब देंहटाएंऔर फोटो भी प्यारी दुलारी................
:-)
इतने प्यारे बच्चों के साथ अमावस भी पूनम हो जाती है !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
आभार !!!
हटाएंबढिया है। आपके घर के दूसरे ब्लॉगर आपकी तारीफ़ करने में कंजूसी काहे करते हैं? :)
जवाब देंहटाएंचिराग तले ही अन्धेरा होता है :))
हटाएंतुम्हारी खिलखिलाहट की
जवाब देंहटाएंरेखाएं मेरे प्राण में बसती हैं ......very nice....
अमावस में छिपी चाँदनी से सबको आस रहती है, हमें भी हैं...
जवाब देंहटाएंआमीन !!!
हटाएंऐसी चांदनी ....हर घर आँगन पर छलके
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि का लिंक दिनांक 11-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगा। सादर सूचनार्थ
तुम्हारी खिलखिलाहट की
जवाब देंहटाएंरेखाएं मेरे प्राण में बसती हैं .....
सार्थक सृजन ...
नेत्र सजल कर गयी आपकी रचना ...
बहुत अच्छी लगी ...
शुभकामनायें...चांदनी मे भिगो दिया मन ...
वाह ………एक खिलखिलाहट ही अमावस को पूनम बना देती है………सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर..
जवाब देंहटाएंshandar
जवाब देंहटाएंक्या सुंदर....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना....
सादर।
anju ji ki baat se sahamt hoon ...aisi chandni har ghar par chalakti rahe... best wishes :-)
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्दों का संगम ... बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंवो रिक्ति की विरक्ति
जवाब देंहटाएंसब कुछ पा कर
चुने गये पुष्पों सी
खाली हुई शाखा भी
आंचल तले खिले
सुमन की सुरभि
से गर्वित होती
पूजन के थाल में
सजी-संवरी
अपनी पहचान
bahut sunder.
बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...
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