वो दो हाथों में हंसती आती ज़िन्दगी ,
वो दो हाथों में बिखरती जाती ज़िन्दगी ,
वो किलकते हाथ खोजते नये अर्थों में ज़िन्दगी ,
वो सहमते हाथों की कोशिश बचाने को ज़िन्दगी ,
वो एक रिश्ते का जुडना और निखरती कई ज़िन्दगी ,
वो एक सांस का थमना और बिखरती कई ज़िन्दगी ,
देते कई शुभकामनायें और शुरू होती ज़िन्दगी ,
देते संवेदनायें और बिखरती जाती ज़िन्दगी..........
ज़िन्दगी का सच सुन्दरता से पिरोया है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंवन्दना जी एवम अनुपमा पाठक जी बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसूक्ष्म पर बेहद प्रभावशाली कविता...सुंदर अभिव्यक्ति..प्रस्तुति के लिए आभार जी
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