कितना सफर है बाकी
कहाँ तक चलना होगा
कहाँ ठिठकनी है साँस
बांया ठिठका रह जायेगा
या दाहिना चलता जायेगा !
फिर सोचती हूँ
क्यों उलझ के रह जाऊँ
गिनूँ क्यों साँस कितनी आ रही
आनेवाली साँस को नहीं बना सकती
गुनहगार जानेवाली साँस का
ऐ ठिठकते कदम ! गिनती भूल चला चल
पहुँचने के पहले क्यों सोचूँ
अभी बाकी कितनी है मंज़िल !
जब तक चल सकें चलते रहें
सुर - ताल का अफसोस क्यों करें
थामे हाथों में हाथ रुकना क्या
तुम रुको तो मैं चलूँगी
मैं रुकूँ तो तुम चलना
सफ़र तो सफ़र ही है
सफ़र मंज़िल की नहीं सोचता
सफ़र तो बस देखता है राही
चलो हमराही बन चलते जायें
मंज़िल जब आनी है
आ ही जायेगी
क्षितिज पहला कदम किसका क्यों सोचें !
.... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
कहाँ तक चलना होगा
कहाँ ठिठकनी है साँस
बांया ठिठका रह जायेगा
या दाहिना चलता जायेगा !
फिर सोचती हूँ
क्यों उलझ के रह जाऊँ
गिनूँ क्यों साँस कितनी आ रही
आनेवाली साँस को नहीं बना सकती
गुनहगार जानेवाली साँस का
ऐ ठिठकते कदम ! गिनती भूल चला चल
पहुँचने के पहले क्यों सोचूँ
अभी बाकी कितनी है मंज़िल !
जब तक चल सकें चलते रहें
सुर - ताल का अफसोस क्यों करें
थामे हाथों में हाथ रुकना क्या
तुम रुको तो मैं चलूँगी
मैं रुकूँ तो तुम चलना
सफ़र तो सफ़र ही है
सफ़र मंज़िल की नहीं सोचता
सफ़र तो बस देखता है राही
चलो हमराही बन चलते जायें
मंज़िल जब आनी है
आ ही जायेगी
क्षितिज पहला कदम किसका क्यों सोचें !
.... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंपर्यावरण दिवस की बधाई हो।