तुम्हारी पलकों तले कुछ सरगोशी सी हुई मोहब्बत ...... धड़कनों ने भी तो भर ली हैं बस चन्द साँसे और हौले से पूछा ये क्या होती है और मैंने अपनी अलकों से बस ..... तुम्हारा नाम लिख दिया ........ निवेदिता
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-10-2016) के चर्चा मंच "ये माटी के दीप" {चर्चा अंक- 2509} पर भी होगी! दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंhmmm!!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-10-2016) के चर्चा मंच "ये माटी के दीप" {चर्चा अंक- 2509} पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंदीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब ... प्रेम ही जीवन है ... साँसें प्रेम से ही है ...
जवाब देंहटाएंअहा ...सुंदर कही
जवाब देंहटाएंbeautiful.....
जवाब देंहटाएंanu
Bahut he khubsurat zazbaat...��
जवाब देंहटाएंसुन्दर और प्रशंसनीय हैं। शब्दों का प्रयोग सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
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