रविवार, 24 जनवरी 2016

हे सर्वशक्तिमान शक्ति !



हे सर्वशक्तिमान शक्ति !

आज मांगती हूँ 
तुमसे तुम्हारा एक 
बहुत ही नन्हा सा लम्हा 
अपने ही लिये ......
हाँ ! सिर्फ और सिर्फ
अपने ही लिये चाहती हूँ
इस नन्हे से लम्हे से
और वो सब कभी न मांगूगी
जो रहा मेरे लिये अनपाया ...
आज तो बस शीश झुकाउंगी
नमन करूंगी .....
आभार मानती हूँ
उन सारे मीठे लम्हों का
जो रहा सिर्फ और सिर्फ मेरा ..... निवेदिता

6 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम की एक बूँद ही अमृतमयी हो जाती है। पवित्र आकांक्षा।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 2 जून 2016 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

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  3. वह शर्वशक्तिमान ही सर्वदाता है। भावनाओं को व्यक्त करती एक अच्छी रचना। मुझे पसंद आयी।

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