तुम अक्सर गुनगुनाते हो
मेरे मन में
खामोश से शब्द बोलते हैं ,
सुनना चाहोगी
मैंने भी इक नामालूम सी
खामोशी से कहा
हाँ ! मैं सुन रही हूँ
तभी तो खामोशियाँ
गुनगुनाती गाती हैं
अब बस इतना ही
सुनिश्चित कर लेना
खामोश से शब्द
तभी बोलना
जब मैं रहूँ वहीँ कहीं
ख़ामोशी को संजो लेने
अपने उर में .... निवेदिता
मेरे मन में
खामोश से शब्द बोलते हैं ,
सुनना चाहोगी
मैंने भी इक नामालूम सी
खामोशी से कहा
हाँ ! मैं सुन रही हूँ
तभी तो खामोशियाँ
गुनगुनाती गाती हैं
अब बस इतना ही
सुनिश्चित कर लेना
खामोश से शब्द
तभी बोलना
जब मैं रहूँ वहीँ कहीं
ख़ामोशी को संजो लेने
अपने उर में .... निवेदिता
भीतर तक गूँजते शब्द । वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर......कोमल सी कविता !
जवाब देंहटाएंअनु
Waaah bht badhiya
जवाब देंहटाएंअहसास
जवाब देंहटाएंमनोरम
जवाब देंहटाएंhttp://ulatpalat.blogspot.in/2015/11/blog-post_27.html
achi kavita
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