हम जब भी किसी नये अथवा अजनबी शख्सियत से मिलते हैं तो स्वयं उससे अथवा अपने आस-पास उपस्थित किसी अन्य से सहज जिज्ञासावश एक ही प्रश्न पूछते हैं "आपका परिचय" और प्रतिउत्तर में सुनते हैं उसके पुकार के नाम के साथ ही उसके वर्ण के बाद उसके कार्यालय का नाम , उसका पदनाम , उसका लेखक अथवा कवि होना और उसकी कितनी पुस्तकें छपीं हैं अथवा कितने पत्र-पत्रिकाओं में छप चुका है जैसी बातें .... पर क्या सच में यही है उसका परिचय !
हाँ ! इस सच से मैं भी इंकार नहीं करुँगी कि किसी के प्रति भी आकर्षित होने का पहला कारण हो सकता है उसका ख्यातनाम होना ,पर क्या उसकी ये उपल्बधियाँ ही किन्ही दो अथवा अधिक व्यक्तियों के चिरस्थायी सम्बन्ध का मूल कारण होंगी .... मुझे तो ऐसा नहीं लगता .... अपितु ,मेरे विचार से तो वो व्यक्ति अपने सहज स्वभाव में कैसा है ,उसकी चरित्रगत विशेषतायें क्या हैं और सबसे बढ़कर वो दूसरों को किस नज़रिये से देखता है - ये उसका स्थायी परिचय होती हैं …
कोई ब्यक्ति प्रसिद्धि और उपलब्धियों के सर्वोच्च शिखर पर हो परन्तु अन्य के प्रति उसका दृष्टिकोण सम्मान न देता हो , तब उसकी समस्त उपलब्धियाँ व्यर्थ हैं ....
आप अगर हैं स्वयं ही अपने लिए कहें कि अगर अपने बारे में बताना शुरू करूँ तो समय काम पड़ जाएगा - तब ये तो आत्मविश्वास की न्यूनता ही दिखायेगा .... सोचिये तो दूसरों को धमकाना जैसा नहीं लगता है क्या !
मेरे अपने विचार में तो वास्तविक परिचय तो दूसरों के प्रति आपका सम्मानजनक व्यवहार है जो औरों को भी आपसे संपर्क बनाये रखने के लिए प्रेरित करेगा … निवेदिता
हाँ ! इस सच से मैं भी इंकार नहीं करुँगी कि किसी के प्रति भी आकर्षित होने का पहला कारण हो सकता है उसका ख्यातनाम होना ,पर क्या उसकी ये उपल्बधियाँ ही किन्ही दो अथवा अधिक व्यक्तियों के चिरस्थायी सम्बन्ध का मूल कारण होंगी .... मुझे तो ऐसा नहीं लगता .... अपितु ,मेरे विचार से तो वो व्यक्ति अपने सहज स्वभाव में कैसा है ,उसकी चरित्रगत विशेषतायें क्या हैं और सबसे बढ़कर वो दूसरों को किस नज़रिये से देखता है - ये उसका स्थायी परिचय होती हैं …
कोई ब्यक्ति प्रसिद्धि और उपलब्धियों के सर्वोच्च शिखर पर हो परन्तु अन्य के प्रति उसका दृष्टिकोण सम्मान न देता हो , तब उसकी समस्त उपलब्धियाँ व्यर्थ हैं ....
आप अगर हैं स्वयं ही अपने लिए कहें कि अगर अपने बारे में बताना शुरू करूँ तो समय काम पड़ जाएगा - तब ये तो आत्मविश्वास की न्यूनता ही दिखायेगा .... सोचिये तो दूसरों को धमकाना जैसा नहीं लगता है क्या !
मेरे अपने विचार में तो वास्तविक परिचय तो दूसरों के प्रति आपका सम्मानजनक व्यवहार है जो औरों को भी आपसे संपर्क बनाये रखने के लिए प्रेरित करेगा … निवेदिता
बिलकुल सही...:)
जवाब देंहटाएंहम तो वैसे भी किसी इंसान से रिश्ता बनाने के पक्षधर हैं...उसके पद, स्टेटस या ख्याति देख कर नहीं...|
आपने एकदम सही लिखा।
जवाब देंहटाएंमैं बहुत बार ऐसी स्थिति से गुज़री हूँ इसलिए अब कोई पूछे उससे पहले ही अपना परिचय दे देती हूँ ..... जबकि वह खुद के छोटेपन का अहसास करवाता है.....
सच कहा आपने . पूरा परिचय तो अन्तर्मन सहित होता है लेकिन इतना समय अब कौन किसको देता है और किसके पास इतनी फुर्सत है . अब तो बस चलते चलते होती मुलाकातें ही रह गईं हैं बल्कि फोन मैसेज क सिमट गए हैं सम्बन्ध .हाँ पूरे परिचय से बने सम्बन्ध आजीवन अक्षय रहते हैं .
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