गुरुवार, 21 अगस्त 2014

ऐसा भी होता है ……


खामोशियों से सराबोर ये शाम 
दबी सी आहटों के शब्द तलाशती 
डूबते सूरज की रौशन रौशनी को 
कतरा दर कतरा अपने दामन में 
चाँद - तारों सा टाँक सजा लिया 

थके से कदमों में आ गयी 
एक नयी उमंग की चमक 
खिलखिलाहट में दिख गयी है 
शायद अपने घर की पहचान 

सुबह ने शायद अपनी पलकें खोल 
उदासी की बिखरी किरचें समेट लीं 
मासूम से कन्धों ने थाम लिया है
इन्द्रधनुषी सपनों की सौगात  ……… निवेदिता 
                                   

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर शब्द ! मंगलकामनाएं आपको

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  2. अरे वाह... बहुत प्यारी कविता है. ताज़गी से भरपूर...

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  3. बहुत ही सुन्दर,,,,,
    सस्नेह
    अनु

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. आपकी लिखी रचना शनिवार 23 अगस्त 2014 को लिंक की जाएगी........
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  6. इन्‍द्रधनुषी सपनों की सौगात .... अनुपम भाव

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  7. इंद्रधनुषी सपनो की सौगात,,,,सुंदर कवित,भावपुर्ण...

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  8. बहुत सुन्दर और भावुक रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर ----

    आग्रह है
    हम बेमतलब क्यों डर रहें हैं ----

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