न जाने किस पल
विधाता ने देखा
मुझको
और संजो लिए
कुछ रेशे
रंगों और उमंगों के
थमा दी मेरी
साँसों के हाथों में
एक पोटली सी
खुशियों की
पता नहीं
उसमें थे
छेद ही छेद
या ताना - बाना ही
ऊपर वाले ने
बना कर भेजा
तंद्रिल .......
मुस्कानों के जुगनू
रास्ता पा एक
नयी ही मंज़िल
की तलाश में
चमकते इठलाते
चल दिये .....
और मैं ....
बस उन चमक बिखेरती
धुँधले चमकते सुरीले
पुच्छल तारों के पीछे
बेसुध और बेबस सी
यूँ ही भटक रही हूँ
उजियारे से अंधेरों के बीच ....... निवेदिता
( दोस्तों ये कोई व्यथा नहीं है ,ये तो जीवन की रीत है ........ )
बहुत संक्षेप में कह दी आपने अपनी व्यथा ,अपनी स्थिति ।उजियारा से अंधेरों के बीच ,मुस्कानों के जुगनू - जैसे आपके मौलिक प्रयोग कविता को सहज ,सम्प्रेष्य बनाते है । रचना के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंअरे ये कोई व्यथा नहीं है ये तो एक तरह की आत्मसंतुष्टि है ..... आभार :)
हटाएंजीवन भी तो भटकना ही है ... गम और खुशियों के बीच ...
जवाब देंहटाएंये तो व्यथा है हर किसी की ...
यकीन मानों,
जवाब देंहटाएंये भटकन नहीं भ्रम है......
ये जुगनू सितारों की बरात बन कर लौटेंगे......
:-)
सस्नेह
अनु
क्या बात!
जवाब देंहटाएंउजियारे से अंधेरों के बीच .......
जवाब देंहटाएंखुशियों की पोटली लिए.....
अरे वाह बहुत ही सुन्दर रचना है .. कहीं उत्साह सी कहीं भटकाव सी .
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी.
सम्पूर्ण जीवन ही इन अन्धेरे उजाले शेड्स का खेल है.. बिल्कुल पर्दे पर चलती फिल्मों की तरह.. और कितनी सहजता से आपने इसे बयान कर और भी सुन्दर बना दिया!!
जवाब देंहटाएंआशा से आकाश थमा है।
जवाब देंहटाएंयही ग़म और खुशी ही तो जीवन के रंग है इन्हीं के बीच कभी मंज़िल हैं तो कभी भटकाव भी है। बहुत सुंदर रचना दी...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-12-13) को "मजबूरी गाती है" (चर्चा मंच : अंक-1460) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार :)
हटाएंबेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति.......
उजियाले से अँधेरे और अँधेरे से उजाले के बीच की यात्रा जीवन की पोटली , कभी ख़ुशी कभी ग़म जैसी !
जवाब देंहटाएंयही है ज़िंदगी का फलसफा .... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंउजियाले और अँधेरे के बीच का फैसला तय करते करते जिंदगी बीत जाती है |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
आभार :)
जवाब देंहटाएंहर चादर में दुख का ताना, सुख का बाना है
जवाब देंहटाएंआती साँस को पाना, जाती साँस को खोना है
जीवन क्या है, चलता-फिरता एक खिलोना है
दो आँखों में, एक से हँसना, एक से रोना है
...Nida Fazli
अरे राम !
हटाएंआपकी कविता में हम एतना न खो गए कि कविता का तारीफवे करना भूल गए
बहुते नीमन लिखतीं हैं आप :)
अँधेरी रातों के बाद सुबह मिलेगी।
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