कुछ शब्द
कुछ भाव
अक्सर
आ-आ कर
कानों में
सरगोशियाँ
सी कर
यादों को
वादों को
थपथपा कर
सहला जाते हैं
कभी दिल
कभी दिमाग
कहीं वादें
कहीं इरादे
कभी यादों में
समेट कर
सहेजे रखने का
डगमगाता दावा
कहीं यादों संग
चाहत बनाये रखने का
पुरजोर इज़हार
क्यों ?????
याद तो
दुश्मन ने भी
किया ही होगा
सलामती क़ी
चाहत तो
बस एक तुमने ही की होगी ........
-निवेदिता
याद तो
जवाब देंहटाएंदुश्मन ने भी
किया ही होगा
सलामती क़ी
चाहत तो
बस एक तुमने ही की होगी .......
बहुत ही बढि़या।
बहुत ही सुंदर भाव संयोजन...सच ही तो हैं याद तो दुश्मन भी किया ही करते हैं मगर सलामती की चाहत तो किसी-किसी की होती है सार्थक रचना ...
जवाब देंहटाएंजो अपने होते है वही सलामती चाहते है,..
जवाब देंहटाएंबहुत,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,सुंदर भाव की रचना के लिए बधाई,.....
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मै समर्थक बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,.....
जवाब देंहटाएंयाद तो
जवाब देंहटाएंदुश्मन ने भी
किया ही होगा
सलामती क़ी
चाहत तो
बस एक तुमने ही की होगी ........
-
बहुत अच्छा लगा आपकी प्रस्तुति पढकर.
आपकी उनके प्रति सकारात्मक सोच दिल को भा गई.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,निवेदिता जी.
बहूत हि सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव संयोजन:-)
भावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट!
जवाब देंहटाएंसादर
कविता का भाव बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंगहरे भाव लिए सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआपकी दुआ तरंग बनी उठती है..
जवाब देंहटाएंsundar nivedita ji..
जवाब देंहटाएंbhawpurn
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा भाव
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव......
सुंदर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएं.बेहतरीन !
जवाब देंहटाएंयाद तो
जवाब देंहटाएंदुश्मन ने भी
किया ही होगा
सलामती क़ी
चाहत तो
बस एक तुमने ही की होगी .....
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! मन से निकली एक भावपूर्ण रचना !
इस सार्थक सोच को सलाम करता हूं।
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..की-बोर्ड वाली औरतें।
मूस जी मुस्टंडा...
bahut umda saarthak rachna.
जवाब देंहटाएंहम भी कर रहे हैं सलामती की चाहत’दोनों के लिये’:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति सलामती पर...
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