गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

नमक जिंदगी का

 कभी कभी 

ये हँसी 

उमगती है 

किलकती है 

बस एक 

झीनी सी 

ओट दे जाने को 

और आँसुओं को 

ख़ुशी के जतलाने को 

और हाँ 

ये आँसू भी तो 

बेसबब नही 

इनसे ही तो 

बढ़ जाता

नमक जिंदगी में!

✍️निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

     लखनऊ 

बुधवार, 9 अप्रैल 2025

अन्तिम प्रणाम 🙏

आ गयी जीवन की शाम

करती हूँ अन्तिम प्रणाम!

रवि शशि की बरसातें हैं
अनसुनी बची कई बातें हैं।
प्रसून प्रमुदित हो हँसता
भृमर गुंजन कर कहता।
किस ने लगाए हैं इल्जाम
करती हूँ अन्तिम प्रणाम!

कुछ हम कहते औ सुनते
बीते पल की थीं सौगाते।
प्रणय की नही अब ये रजनी
छुड़ा हाथ चल पड़ी है सजनी।
समय के सब ही हैं ग़ुलाम
करती हूँ अन्तिम प्रणाम!

जाती हूँ अब छोड़ धरा को
माटी की दी बाती जरा वो।
जर्जर हो गयी है अब काया
मन किस का किस ने भरमाया।
तन के पिंजरे का क्या काम
करती हूँ अन्तिम प्रणाम!
✍️ निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

      लखनऊ 

रविवार, 6 अप्रैल 2025

जय सियाराम


नगरी प्यारी राम की, बहती सरयू धार।

नगर अयोध्या आ गए , करने को उपकार।।

*

राम-राम के बोल में, रमता है संसार।

माया से तू दूर हो, मानव से कर प्यार।।

*

मनका-मनका खोल कर, खोज रहे भगवान।

रघुनंदन को देख कर , झूम उठे हनुमान।।

*

सदा यही मन चाहता, सजा रहे दरबार।

प्रभु के दर्शन से बड़ा, चाहूँ क्या उपहार।।

*

राज तिलक प्रभु का हुआ, गायें मंगलचार।

सुमन वृष्टि अनुपम हुई, करते सब जयकार।।

*

भूलो विषय विकार को, छोड़ो सब संताप।

छेड़ रागिनी प्रेम की, आन बसो प्रभु आप।।

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'