स्तुति
अक्षत संग ले कुमकुम
आसन सजा हुआ
माँ आन विराजो तुम।
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आँचल की दे छइयाँ
श्वेत वस्त्र धारे
पकड़े माता बइयाँ।
*
चंचल मन को साधो
ज्ञान दायिनी माँ
दे ज्ञान हृदय बाँधो।
*
मन शीतल करती है
ब्रम्हा की ललना
घट खाली भरती है।
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माँ वाणी महारानी
ज्ञान नयन खोले
महिमा उनकी गानी।
#निवेदिता_निवी
#लखनऊ
भक्तिभाव पूर्ण सुन्दर स्तुति ।
जवाब देंहटाएंनवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं ।
सुन्दर स्तुति 🌹
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर स्तुति 🌹
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