शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

हाइकु

मीठी है छूरी

कहते मठाधीश

बनते ईश।


विश्वास पाश

छलिया है प्रकृति

करती नाश।


सदा हँसता

कसौटी पे कसता

दम घुटता।


सुरसा आस

हो रहा सर्वनाश

अबूझ प्यास।


प्रश्नों के घेरे

लगाते हैं पहरे

टूटती आस।


स्वार्थी का स्वांग

दावानल की आग

छाता विराग।


#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी

#लखनऊ

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