मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

लघुकथा : बिन्दी


नन्हा सा अवि खेलते_खेलते ड्रेसिंग टेबल की तरफ़ बढ़ गया और शीशे के किनारे लगी हुई बिन्दियों से खेलने ही लगा था कि उसके पापा ने टोका,"बेटा! बिन्दियों से नहीं खेलते, गन्दी हो गयीं हैं। दिवी! हटाओ इनको।"

बेटे ने पलट कर देखा ," पापा ऐसा मत कहिये ,ये तो आप हैं, हटा दिया तो आप दादा जी हो जायेंगे और चले जायेंगे ..."

"अरे! ये सब किसने कहा ... जाओ खेलो",स्तब्ध होते हुए पापा ने कहा।

अवि सहम गया,"पापा! दादी माँ को बिन्दी लगाने के लिए जब कहा तो उन्होंने कहा कि उनकी बिन्दी दादा जी के साथ गयी।"

निवेदिता श्रीवास्तव निवी

लखनऊ

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