सज धज कर के सारे श्रृंगार
छत पर गोरी आ जाना।
ओढ़ चुनरिया लाल रंग की
प्रीतम को तू भा जाना।
मेहंदी की लाली हाथों में
प्रीत रस हो बातों में
धूप दीप अगरु अरु मीठा
करवे का थाल सजा लाना
धीमे धीमे कदमों से आ
पायल तू खनका जाना
सज धज कर ...
चन्दा छुप छुप जाए बदली में
शाखों पत्तों की अंजुली के
मन्द मदिर जब पवन चले
अम्बर आनन हँस गयी टिकुली
जलधार देते चन्दा को
चूड़ी कंगन खनका जाना
सज धज कर ...
निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
लखनऊ
"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022
कर सारे श्रृंगार ... सज धज कर के सारे श्रृंगार छत पर गोरी आ जाना। ओढ़ चुनरिया लाल रंग की प्रीतम को तू भा जाना। मेहंदी की लाली हाथों में प्रीत रस हो बातों में धूप दीप अगरु अरु मीठा करवे का थाल सजा लाना धीमे धीमे कदमों से आ पायल तू खनका जाना सज धज कर ... चन्दा छुप छुप जाए बदली में शाखों पत्तों की अंजुली के मन्द मदिर जब पवन चले अम्बर आनन हँस गयी टिकुली जलधार देते चन्दा को चूड़ी कंगन खनका जाना सज धज कर ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी' लखनऊ
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करवाचौथ पर सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण हृदय स्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंiokqvppb
जवाब देंहटाएंcialis 5 mg satın al
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