रविवार, 1 मई 2022

ममता की दस्तक

अनाड़ी दुनियादारी में

उलझ रही थी जिम्मेदारी में

कुछ नए तो कुछ पुराने थे

रिश्तों की महकी क्यारी में !


उन धागों को सम्हाल रही थी

सपने नयनों में पाल रही थी

नन्हे कदमों ने दी जब दस्तक

ममता का झूला डाल रही थी !


बातें लगतीं कितनी अनजानी 

दिल करता अपनी सी मनमानी

हर पल जीवन बदल रहा था

लिख रहा था इक नई कहानी !

#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी'

#लखनऊ

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