पहेली सा जीवन
#सुख_दुःख की धूप छाँव
चलता चरखा कर्मों का
बुनता बाना #लाभ_हानि का
#अंधेरा_उजाला हमसाया बन
फसल बीजते जय पराजय की
कभी कभी बरसती बेबस यादें
ज्यों धुनिया धुनता #रात_दिन
अल्हड़पन का साथी था बचपन
उलझता गया क्यों #निवी का मन !
... निवेदिता श्रीवास्तव #निवी
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंशिव त्रयोदशी की बहुत-बहुत बधाई हो।