गुरुवार, 4 मार्च 2021

बाल गीत : रेल शब्दों की



मुन्नू मुनिया करें मनमानी
सेब को बनायें जहाजरानी
चींटी आंटी को तीर पर बिठाया
बालक ने केले का बैट बनाया
शुरू देखो हो गया मैच
ब्लू बॉल बिल्ली ने की कैच
कप को कैंडल से सजाया
कार्पेट बिछा डॉल्फिन आयी
दरवाजे से डक औ डॉगी आये
ड्रम को डाइस सा लुढ़काया
अरे ... अरे ... आठों ईगल क्या छुपाएं
धत्त तेरे की लिफाफे में कान थे उनके
हाथी ने मेंढ़क को दिखलाया
मछली लगती कितनी प्यारी
फूल झण्डे सा लहराये
पाँच बकरियाँ चिल्लाईं
हरी घास हम न खायें
हमको तो अंगूर है भाये
लड़की गिटार संग गाए
गीत दिलों में बसता जाए
सोचो बच्चों घर बर्फ का बन जाये
आइसक्रीम कभी पिघल न पाए
उड़ी बाबा ... कीड़ों से भरा है जंगल
जीप भर के जोकर पतंगें रंग बिरंगी लाये
खुशियोंवाली चाभी राजा लाये
दिया ज्ञान का उजास भर जाये
माँ मग में दूध है लायीं
मन तो आम का पहाड़ मांगे भाई
नोट कहीं ये कर लो
तेल का न समुद्र बहाना
खाना सदा पौष्टिक ही खाना
तालाब में मोर प्यानो बजाए
क्यू बनाये कोयल कूक सुनाए
सद्प्रयास का इक रेनबो बनाएं
आसमान से समुद्र तक
जाले की सीढ़ी मकड़ी बनाये
सुबह करना दाँतों की सफाई
टीचर ने भी बात यही बताई
यूनिफॉर्म पहन तुम आओ
छाता जरूर संग ले जाना
वेजिटेबल सैण्डविच टिफिन में दूंगी
अरेरे वॉटर बॉटल की न वीणा बजाओ
छड़ी लिये परी खिड़की से आई
क्रिसमस ट्री जरा ज़ूम कर देखो
तोहफों में जाइलोफोन छुपा है
चलो अब ए से ज़ेड तक तुम सुनाओ
देखूँ क्या समझे इन शब्दों से भाई !
.... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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