नारायण अस्त्र : लघुकथा
दादी और उनका पोता विहान दोनों ही बार - बार खिड़की से झाँक कर बाहर देखते ,फिर झुंझला कर वापस बैठ जाते। आखिर वो करें भी क्या इस लॉकडाउन में अनुभा ने उन दोनों को बाहर निकलने से रोक जो रखा है । सच्ची डर भी तो है कि इस महामारी के इंफेक्शन का !
अनुभा भी उन दोनों की उलझन देख रही थी । अचानक ही वह उठ कर रसोई में चली गयी और चटपटे पकौड़ों की प्लेट थामे उनके पास आ गयी ,"क्या हो गया आप लोग बोर हो रहे हो ... अच्छा ऐसा करते हैं दादी माँ नारायण अस्त्र की कहानी सुनाइये हमसब को ।"
छुटकू विहान किलक उठा कहानी के नाम से और दादी माँ भी व्यस्त होने के सुकून में कहानी के साथ बह चलीं ,"पिता द्रोण के धोखे से मारे जाने से क्रोधित अश्वत्थामा ने पाण्डव सेना पर नारायण अस्त्र से प्रहार कर दिया जिसका कोई प्रतिकार कर ही नहीं पा रहा था । ये देख कृष्ण ने सबको उस का प्रतिकार करने से रोक दिया और उस दैवीय अस्त्र के शान्त होने की प्रतीक्षा शान्त भाव से करने को कहा । विरोध न पा कर अस्त्र भी शान्त हो गया और सब सुरक्षित हो गये ।"
"अरे वाह दादी माँ ! ये तरीका तो बहुत अच्छा है बचाव का ",विहान दादी माँ के गले में झूल गया ।
अनुभा मुस्कुरा पड़ी ,"जानते हो विहान हम सब भी अगर ऐसे ही शान्त भाव से घरों में रहें ,तो इस महामारी के बैक्टीरिया फैल ही नहीं पाएंगे और धीरे - धीरे खतम हो जायेंगे । तब तक हमारे वैज्ञानिक भी इसकी प्रतिरोधक दवाइयां खोज लेंगे ,फिर हम सब सुरक्षित रहेंगे । बस तब तक हम सब को घर में रह कर खुद को ही प्रतिरोधक दवा बनना है । "
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
दादी और उनका पोता विहान दोनों ही बार - बार खिड़की से झाँक कर बाहर देखते ,फिर झुंझला कर वापस बैठ जाते। आखिर वो करें भी क्या इस लॉकडाउन में अनुभा ने उन दोनों को बाहर निकलने से रोक जो रखा है । सच्ची डर भी तो है कि इस महामारी के इंफेक्शन का !
अनुभा भी उन दोनों की उलझन देख रही थी । अचानक ही वह उठ कर रसोई में चली गयी और चटपटे पकौड़ों की प्लेट थामे उनके पास आ गयी ,"क्या हो गया आप लोग बोर हो रहे हो ... अच्छा ऐसा करते हैं दादी माँ नारायण अस्त्र की कहानी सुनाइये हमसब को ।"
छुटकू विहान किलक उठा कहानी के नाम से और दादी माँ भी व्यस्त होने के सुकून में कहानी के साथ बह चलीं ,"पिता द्रोण के धोखे से मारे जाने से क्रोधित अश्वत्थामा ने पाण्डव सेना पर नारायण अस्त्र से प्रहार कर दिया जिसका कोई प्रतिकार कर ही नहीं पा रहा था । ये देख कृष्ण ने सबको उस का प्रतिकार करने से रोक दिया और उस दैवीय अस्त्र के शान्त होने की प्रतीक्षा शान्त भाव से करने को कहा । विरोध न पा कर अस्त्र भी शान्त हो गया और सब सुरक्षित हो गये ।"
"अरे वाह दादी माँ ! ये तरीका तो बहुत अच्छा है बचाव का ",विहान दादी माँ के गले में झूल गया ।
अनुभा मुस्कुरा पड़ी ,"जानते हो विहान हम सब भी अगर ऐसे ही शान्त भाव से घरों में रहें ,तो इस महामारी के बैक्टीरिया फैल ही नहीं पाएंगे और धीरे - धीरे खतम हो जायेंगे । तब तक हमारे वैज्ञानिक भी इसकी प्रतिरोधक दवाइयां खोज लेंगे ,फिर हम सब सुरक्षित रहेंगे । बस तब तक हम सब को घर में रह कर खुद को ही प्रतिरोधक दवा बनना है । "
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
वाह आज और अभी के अभी इस कहानी को पढ़ कर इतनी बड़ी बात बड़ी आसानी से समझी जा सकती है | बहुत शानदार लघुकथा और उससे भी महत्वपूर्ण सन्देश | सार्थक पोस्ट भाभी माँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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