"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
सुन्दर कविता
अपनी अलको सेबसतुम्हारा नाम लिख दिया ...बहुत बढ़िया रचना
सुन्दर क्षणिका !
मुहब्बत की इन्तहा भी यही है ... उस नाम के आगे क्या है जो लिखा जा सके ... चंद पंक्तियों में गहरी बात ...
वाह ! क्या बात है निवेदिता जी ! बहुत खूब !
सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंअपनी अलको से
जवाब देंहटाएंबस
तुम्हारा नाम लिख दिया ...बहुत बढ़िया रचना
सुन्दर क्षणिका !
जवाब देंहटाएंमुहब्बत की इन्तहा भी यही है ... उस नाम के आगे क्या है जो लिखा जा सके ... चंद पंक्तियों में गहरी बात ...
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या बात है निवेदिता जी ! बहुत खूब !
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